21 दिवसीय राष्ट्रीय प्राकृत शिक्षण कार्यशाला का समापन

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तिरुमलै।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली एवं आचार्य श्री अकलंक शैक्षणिक न्यास, अरिहंतगिरि के संयुक्त तत्वावधान में तिरुवण्णामलै जिले में तिरुमलै स्थित अरिहंतगिरि में इक्कीस दिवसीय राष्ट्रीय प्राकृत शिक्षण कार्यशाला का समापन 10 जुलाई, बुधवार को चेयरमैन भट्टारक धवलकीर्ति स्वामी की निश्रा एवं तमिलनाडु के राज्यपाल रवीन्द्र नारायण रवि के मुख्य आतिथ्य में हुआ। राज्यपाल रवि ने कहा कि अहिंसा की जो सूक्ष्मता जैन धर्म में है, वैसी अन्यत्र कहीं नहीं है। जैन धर्म की प्राचीनता एवं जैन धर्म के अहिंसा और अनेकांत सिद्धांतों पर बोलते हुए उन्होंने धर्म को भारत की आत्मा कहा। उन्होंने प्राकृत और तमिल के संबंध को भी रेखांकित किया। केंद्रीय संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने संस्कृत, प्राकृत और पालि को भाषाओं की त्रिवेणी कहा।
धवलकीर्ति स्वामी ने प्राकृत संस्कृत सीखने की प्रेरणा दी। उन्होंने राज्यपाल को अभिनंदन पत्र भेंट किया। राज्यपाल ने आचार्य श्री अकलंक शैक्षणिक न्यास की न्यासी सरिता जैन एवं समाजसेवी एमके जैन का सम्मान किया। सरिता जैन फाउंडेशन की ओर से 232 जरूरतमंद विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी गई। प्राकृत विकास अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्रकुमार जैन ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। प्राकृत कार्यशाला प्रवक्ता डॉ. दिलीप धींग ने बताया कि कार्यशाला में आचारांग सूत्र, उत्तराध्ययन सूत्र, पउमचरियं, प्रवचनसार, कुवलयमाला आदि के अतिरिक्त अभिज्ञान शाकुंतलम जैसे संस्कृत ग्रंथों में आए प्राकृत पाठ भी सिखाए गए। हर्षिता पतंगिया, अब्बूबेकेर सिद्दिकी एवं शुभम रोटे ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया।
राज्यपाल ने तिरुमलै जैन पर्वत पर चढ़कर भगवान नेमीनाथ एवं कुंदवै जिनालय में दर्शन किये। वहां प्राचीन जैन गुफाएं और शिलालेख देखे। उन्होंने ‘पालि-प्राकृत अनुशीलनम’ और ‘जैन धर्म और दर्शन की वैज्ञानिकता’ पुस्तकों का विमोचन किया। जिनवाणी के संपादक प्रो. धर्मचंद जैन, डॉ. सुमत जैन, डॉ. धर्मेंद्रकुमार जैन, डॉ. प्रभात कुमार दास, प्रो. जगतराम भट्टाचार्य, प्रो. दीनानाथ शर्मा, प्रो. कमलेश कुमार जैन, गणेश तिवारी आदि ने अध्यापन करवाया। समन्वयक प्रो. मधुकेश्वर भट्ट ने स्वागत भाषण दिया। अनुसंधान सहायक डॉ. सतेंद्र कुमार जैन ने संचालन किया। पालि-प्राकृत योजना के डॉ. चक्रधर मेहर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
– डॉ. दिलीप धींग
प्राकृत कार्यशाला प्रवक्ता
संलग्न फोटो:-
भट्टारक, राज्यपाल और कुलपति के साथ प्राकृत कार्यशाला के प्राध्यापक, प्रतिभागी एवं अन्य

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