1008 श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांतिमहायज्ञ का शुभारंभ हुआ

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कर्मों का फल जीव को भोगना ही पड़ता है
14 जुलाई रविवार आषाढ़ की अढाईया महापर्व पर अग्रवाल बड़े जैन मंदिर में झंडा रोहण मंगल यात्रा से शुभारंभ हुआ
यह सिद्ध चक्र मंडल विधान 14 जुलाई से अषाढ शुक्ला 21 जुलाई 2024 तक संपन्न होगा
सुबह 6:00 बजे देव आज्ञा गुरु आज्ञा
घट यात्रा जुलूस भूमि शुद्धि चित्र अनावरण दीप प्रज्वलित मंगलाचरण आचार्य निमंत्रण इंद्र प्रतिष्ठा मंडल प्रतिष्ठा नित्य नियम पूजन मुनिश्री का उद्बोधन शाय काल आरती रात्रि संस्कृति कार्यक्रम
इस महामंडल विधान में अनैको जोड़े ने बैठकर सिद्ध चक्र महामंडल विधान का धर्म लाभ प्राप्त किया
जैन मुनि श्रुतेशसागर जी ने धर्म सभा को बताया
मनुष्य द्वारा किए गए कर्मों को रोकने के लिए ईश्वर की आराधना बहुत ही जरूरी है
किए गए कर्मों का फल जीव को निश्चित रूप से भोगना पड़ता है भगवान की भक्ति सच्चे मन से करने पर किए गए कर्मों में कुछ कर्मों का आश्रव कम हो जाता है
भगवान की भक्ति आराधना दिखावे के लिए कभी नहीं करना चाहिए
मनुष्य जैसा कर्म करेगा परिणाम उसको वैसा ही भोगना पड़ेगा
मुनि ने बताया की कर्मों को भगवान ने भी नहीं छोड़ा भगवान को भी अपने कर्मों के कारण कहीं वर्षों तक आहार दान प्राप्त नहीं हुआ था

धर्म की क्रिया करने से जीव सुखी शांत स्वभाव से रहता है अधर्म की क्रिया करने पर जीव परेशानी उत्पन्न होती हैं मन अशांत रहता है
सभी कार्य को प्रतिष्ठाचार्य भागचंद शास्त्री द्वारा संपन्न कराया गया

दिगंबर जैन समाज प्रवक्ता
महावीर कुमार जैन सरावगी नैनवा

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