आचार्य श्री पद्मनंदी जी महाराज का 44वां मुनि दीक्षा दिवस भी मनाया गया
सम्मेद शिखर जी में विराजमान अनेक संतों के सान्निध्य में हुआ आयोजन
सम्मेदशिखर जी। शाश्वत सिद्धभूमि श्री सम्मेद शिखर जी में परम पूज्य श्रमणाचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज का 18वां आचार्य पदारोहण दिवस हर्ष उल्लास के साथ परम पूज्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज , मुनि श्री सुयश सागर जी महाराज ससंघ के निर्देशन में मनाया गया।
श्री शाश्वत तीर्थ सम्मेद शिखर जी में विराजित समस्त आचार्य, उपाध्याय, साधु ,आर्यिका एवं त्यागीवृंद के सान्निध्य में श्री पुष्पदंत जिनालय के परिसर में आयोजित विनयांजलि सभा मुनि श्री सुप्रभ सागर जी ससंघ एवं मुनि श्री सुयश सागर जी ससंघ निर्देशन मे सम्पन्न हुई।
इस मौके पर आचार्य श्री वैराग्यनंदी जी महाराज ससंघ, बालाचार्य श्री मोक्षसागर जी महाराज ससंघ आचार्य श्री यतींद्रसागर जी महारसज,उपाध्याय श्री विभंजन सागर जी , मुनि श्री हर्षेन्द्रसागर जी, गणिनी आर्यिका विभाश्री माता जी , आर्यिका पुनीत चैतन्यमति जी, आर्यिका विनतश्री जी, आर्यिका विनयश्री जी , आर्यिका श्री सुज्ञानमति जी आदि लगभग पचास पूज्य साधुगण विनयांजलि सभा मे उपस्थित रहे।
सभा में इस दौरान आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज ने कहा कि गुरु दर्शन मेरे जीवन मे सम्यक्दर्शन का कारण बन गया। गुरु किसी को कुछ देते नही फिर भी झोली भर जाती है। गुरु कुछ लेते नही फिर भी भक्त के, शिष्य के दुख दूर हो जाते हैं, गुरु के साथ जो चल देता है उसका भव पार हो जाता है।
मुनि श्री सुयशसागर जी महाराज ने कहा की गुरु की वाणी उनके एक-एक शब्द मंत्र रूप निकलते हैं और यदि शिष्य उन्हे श्रध्दापूर्वक ग्रहण करता है तो उसका भी कल्याण निश्चित हो जाता है।
प॰पू श्रमणाचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज का 18 वा आचार्य पदारोहण दिवस और आचार्य श्री पद्मनंदी जी महाराज का 44वां मुनि दीक्षा दिवस मधुवन ( शिखर जी) के इतिहास मे पहलीबार अत्यंत् भक्ति भाव से मनाया गया ।
उ. प्र, म. प्र, विहार, झारखंड,छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, पश्चिमबंगाल, ओडिशा आदि देश के अनेक प्रांतों से आये श्रावकों ने अपने गुरु के प्रति गुरु भक्ति प्रदर्शित करते हुए विनयांजलि प्रस्तुत की।
सभा का संचालन पूज्य मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज एवं शैलेश जैन मधुबन ने किया।
इस मौके पर श्री सम्मेद शिखर विधान का आयोजन आचार्य पदारोहण दिवस पर सम्पन्न किया।
विमल-वात्सल्य धारा का अनूठा दृश्य देखकर भाव-विभोर हो उठे श्रावक- साधुगण।
सिद्धचक्र विधान भी बड़े ही भक्ति भाव से मुनि श्री सुप्रभ सागर जी, मुनि श्री प्रणत सागर जी के सान्निध्य में सम्पन्न किया गया।
सिद्धचक्र महामंडल विधान का पुण्यार्जन श्री जवाहरलाल जैन पडेले परिवार सागर ने प्राप्त किया तथा गुरु पूजन का सौभाग्य प्राप्त किया।
– डॉ सुनील जैन संचय, ललितपुर
निर्देशक उत्कर्ष समूह भारत