अजमेर (मनोज जैन नायक) राज भवन सिविल लाइंस, अजमेर में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज द्वारा दस प्रतिमाओं के व्रत ग्रहण करने वाले ब्रह्मचारी श्री चिदानंद जी (पूर्व नाम: श्री राजेंद्र जी दनगसिया) जिन्होंने समाधि से पूर्व गृह त्याग कर संयम पथ को अपनाया था और आचार्य श्री समयसागर जी द्वारा ‘ब्रह्मचारी चिदानंद’ नाम प्रदान किया गया था, की समतापूर्वक समाधि के उपलक्ष्य में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
विनयांजलि सभा के अवसर पर देशभर से पधारे उनके आत्मीयजन, विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी, शुभचिंतक एवं परिवारजन उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन भोपाल से पधारे राष्ट्रकवि सप्तम प्रतिमा धारी श्री चंद्रसेन जी द्वारा किया गया। श्री चंद्रसेन जी ने सर्वप्रथम जैन धर्म में समाधि एवं सल्लेखना व्रत की महत्ता को विस्तार से समझाया। इसके पश्चात श्री निर्मल गंगवाल जी ने एक भावविभोर कर देने वाला मंगलाचरण भजन प्रस्तुत किया।
आचार्य श्री जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया।
सभा की प्रथम वक्ता श्री चिदानंद जी की पोती श्रद्धा जैन (सिविल इंजीनियर) ने दादाजी के साथ बिताए जीवन के प्रेरणादायक क्षणों को साझा करते हुए उनके व्यक्तित्व से दृढ़ संकल्प और आदर्श जीवन मूल्यों को रेखांकित किया। इसके उपरांत जयपुर से पधारे जैन विद्वान श्रमण संस्कृति संस्थान के प्राचार्य श्री शीतल चंद जी ने ब्रह्मचारी श्री चिदानंद जी के साथ बिताए धार्मिक पलों और संयम की यात्रा को भावुकता से प्रस्तुत किया। आगरा से पधारे पीएनसी ग्रुप के चेयरमैन श्री प्रदीप जैन ने बताया कि 23 वर्ष की आयु में उन्होंने मौसाजी के सान्निध्य में ही सप्तव्यसन का त्याग किया था। अजमेर प्रवास के दौरान उनसे मिलना उनका नित्य का नियम था। जयपुर जैन समाज के अध्यक्ष श्री सुशील पहाड़िया जी, जो स्वयं भी व्रती हैं, ने ब्रह्मचारी जी के व्रतों और संयम की भावभीनी सराहना करते हुए उनके समान ही समाधिमरण की भावना व्यक्त की।
इसके बाद आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के युगल शिष्य मुनि श्री नीरजसागर जी एवं मुनि श्री निर्माणसागर जी द्वारा ब्रह्मचारी जी को फरवरी माह में दिए गए प्रेरणादायक उद्बोधन का एक संक्षिप्त वीडियो प्रदर्शित किया गया।
वरुण बेवरेजेस के सीईओ सीए कमलेश जैन गुरुग्राम ने भी अपनी भावपूर्ण विनयांजलि प्रस्तुत की। भोपाल से पधारे डॉ. नरेंद्र जैन जी ने (भारतीय चिकित्सा पद्धति के प्रचारक) ब्रह्मचारी जी के अंतिम दिनों की धर्मनिष्ठा और तपश्चर्या का प्रभावशाली चित्रण किया।
सभा के अंत में अजमेर निवासी ब्रह्मचारी श्री शशांकजी, जो ब्रह्मचारी श्री चिदानंदजी की अंतिम सेवा में निरंतर संलग्न थे, ने उनके चार उपवासों की साधना और त्याग का प्रत्यक्ष विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार आचार्य श्री समयसागर जी महाराज के सान्निध्य में उन्हें अंतिम समय में णमोकार मंत्र सुनाया गया और समाधि की पवित्रता से युक्त उनका अंत समय बना। सभा के समापन पर ब्रह्मचारी श्री चिदानंद जी के जीवन से जुड़े कुछ दुर्लभ क्षणों को डॉक्यूमेंट्री क्लिप्स के माध्यम से प्रस्तुत किया गया, जिसने उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। पुत्र श्री अजय जी- साधना जी, श्री विजय जी – सविता जी, पोते-पोती श्रद्धा, अनिमेष, श्रुति, प्रज्ञा, आदित्य पुत्रवधु दृष्टि की उपस्थिति में जैसवाल जैन समाज के अध्यक्ष पवन जैन बिड़ला पार्क, पूर्व अध्यक्ष सुनील ढिलवारी, जेएलएन अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. अनिल जैन, जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय पल्लीवाल, प्रकाश पाटनी, प्रदीप पाटनी, जयपुर से पारस कासलीवाल, चेन्नई से राजीव जैन, विमल भंडारी भोपाल, विजय धुर्रा अशोक नगर सहित दिल्ली , जयपुर, आगरा, शिवपुरी, धौलपुर, अशोकनगर सहित विभिन्न स्थानोवस सैकड़ों गणमान्य साधर्मी बंधु उपस्थित रहे।
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