संस्कारों से राष्ट्र, धर्म एवं समाज की रक्षा होती है – मुनिश्री विलोकसागर

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संस्कारों से राष्ट्र, धर्म एवं समाज की रक्षा होती है -मुनिश्री विलोकसागर

श्रमण संस्कृति संस्कार शिविरों का आज सातवां दिन

मुरैना (मनोज जैन नायक) शिक्षण शिविरों के माध्यम से बच्चों को शिक्षा मिलती है, अपने धर्म एवं संस्कृति से रूबरू होने का जो अवसर मिलता है उन्हीं संस्कारों से धर्म की रक्षा होती है साथ ही देश एवं समाज उन्नति की ओर अग्रसर होता है । सुसंस्कारों से संस्कारों धर्म की रक्षा होती है, धर्मात्मा की रक्षा होती है, राष्ट्र की रक्षा होती है और समाज की रक्षा होती है । जिस प्रकार एक अनगढ़ पत्थर को मंत्रों द्वारा संस्कारित करके परमात्मा बना देते हैं, पाषाण को भगवान बना दिया जाता है वैसे ही संस्कारों के माध्यम से इंसान को भगवान बनाया जा सकता है । संस्कारवान व्यक्ति प्रत्येक स्थान पर आदर व सम्मान प्राप्त करता है । ऐसा व्यक्ति अपने राष्ट्र, अपने धर्म, अपने परिवार की रक्षा करते हुए उन्हें उन्नति की ओर ले जाने की शक्ति रखता है । संस्कारविहीन व्यक्ति सदैव अपमान और तिरस्कार प्राप्त करता है । हमें शिक्षण शिविरों, गुरुओं के सत्संग व सान्निध्य से नवीन संस्कारों की प्राप्ति होती है । जिससे हमारा जीवन सुखमय एवं शांतिपूर्ण तरीके से व्यतीत होता है । उक्त उद्गार दिगम्बर जैन मुनिश्री विलोकसागर महाराज ने बड़े जैन मंदिर में श्रमण संस्कार शिक्षण शिविर के दौरान शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए ।
आज धर्मसभा के दौरान पूज्य मुनिराज विलोकसागर जी महाराज को महिला एवं बालिका मंडल ने जिनवाणी भेंट की एवं पाद प्रक्षालन का सौभाग्य प्राचार्य अनिल जैन, प्रेमचंद जैन, डॉ. मनोज जैन, नवनीत शास्त्री, मनोज जैन नायक को प्राप्त हुआ ।
बच्चों को पढ़ाया जा रहा है तीर्थंकर चरित्र
जैन बुंदेली तमूरा भजन से पूरे भारत में विख्यात प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी अजय भैयाजी दमोह के मंगल निर्देशन में प्रातः काल की बेला में श्री जिनेंद्र प्रभु का अभिषेक, शांतिधारा एवं देव शास्त्र गुरु पूजन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है । सायंकाल की बेला में इष्ट प्रार्थना एवं प्रश्न मंच के माध्यम से सभी को धार्मिक ज्ञान दिया जा रहा हैं । बहुत ही सरल एवं सहज भाषा में ब्रह्मचारी अजय भैयाजी जैन बाल बोध प्रथम भाग के माध्यम से बच्चों को णमोकार मंत्र एवं तीर्थंकरों के नाम, चिन्ह एवं जीवन चरित्र से बच्चों को परिचित करा रहे हैं।
स्वयं मुनिश्री ले रहे हैं कक्षाएं
मुनिश्री विलोकसागर महाराज जी के द्वारा मंगलाष्टक, अभिषेक पाठ की कक्षाएँ ली जा रही है। जैन दर्शन में मंगलाष्टक संस्कृत भाषा का ग्रन्थ है । पूज्य मुनिश्री के द्वारा उसकी विस्तृत व्याख्या की जा रही है । उक्त ग्रन्थ को विनय पूर्वक पढ़ने से क्या फल मिलता है, हमें इस ग्रन्थ का अध्ययन क्यों करना चाहिए आदि कई सारी बातों पर प्रकाश डाला गया । हमें जिनेंद्र प्रभु की पूजन क्यों करना चाहिए, किस प्रकार से करना चाहिए, स्वयं मुनिश्री साधर्मी बंधुओं को समझा रहे हैं ।इसके साथ ही अनेकों प्रकार की विधाओं को संस्कार शिक्षण शिविर में समझाया जा रहा है।
सांगानेर जयपुर से आए विद्वत दे रहे हैं शिक्षण
धार्मिक शिक्षण शिविर में सांगानेर से पधारे विद्वान भैया लोगो के सान्निध्य में धार्मिक कक्षाएं चल रही है । जिसमें प्रथम भाग बाल, अजय भैयाजी ने समझाया कि पाप पांच होते है हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह, इन पांच पापों से प्रत्येक प्राणी को बचना चाहिए ।छहढाला ग्रन्थ का ज्ञान देते हुए विद्वत् आशीष जैन शास्त्री मबई ने जीव के भेद को समझाया । तीसरे ढाल में भक्तामर ग्रंथ को विद्वत् नीरज जैन शास्त्री भॅगवा ने तीन लोग के भगवान के बारे बताया कि वो कैसे होते है, कैसे उनको ध्यान हुआ, केवल ज्ञान हुआ और मोह रूपी संसार को त्याग कर सिद्धसिला में विराजमान हो हुए । द्रव्यसंग्रह विद्वत् सुरेश जैन शास्त्री ने ज्ञान के बारे में बताया ज्ञान 5 प्रकार के होते हैं मतिज्ञान, श्रुतज्ञान , अवधिज्ञान, मन पर्याय ज्ञान, केवल ज्ञान । तत्त्वार्थसूत्र विद्वत् राजेन्द्र जैन शास्त्री, भाग 2 विद्वत् संकल्प जैन शास्त्री इन सभी विषय का अध्ययन करा रहे है।
तीर्थंकर प्रतियोगिता के पुरस्कारों का आज होगा वितरण
तीर्थंकर महावीर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का परिणाम आज पूज्य युगल मुनिराजों के सान्निध्य में कमेटी के अध्यक्ष प्राचार्य अनिल जैन, मुख्य संयोजक डॉ.मनोज जैन, मंत्री विनोद जैन तार, प्रेमचंद जैन बंदना साड़ी, मनोज जैन नायक ने घोषित किया । प्रतियोगिता में सम्मिलित 300 प्रतियोगियों में से 80 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले सभी लोगों को आज एक भव्य समारोह में सम्मानित किया जाएगा । महावीर पुरा निवासी विपिन गुप्ता के पुत्र अंश गुप्ता (कक्षा 5) का विशेष पुरस्कार से बहुमान किया जायेगा ।

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