विश्व में हुए जैन नगण्य क्या भारत में भी होगी ऐसी स्थिति?

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विश्व में हुए जैन नगण्य क्या भारत में भी होगी ऐसी स्थिति?
वर्तमान परिदृश्य में यदि आबादी की संख्या पर दृष्टिपात करें तो विश्व में धर्म की आबादी के अनुसार जैन धर्म नगण्य हो चुका है। जैन धर्म को मानने वालों की गिनती अन्य धर्म में की जाती है। आइए कुछ विश्लेषण करते हैं, और इस बात पर भी चिंतन करते हैं कि क्या भारत में भी ऐसी स्थिति होने वाली है? जहां हम आधा प्रतिशत से भी कम आबादी का हिस्सा है। क्या धर्म के कॉलम से जैन को हटाकर अन्य धर्म के कॉलम में सम्मिलित होना होगा?
2023 के लिए प्रमुख धार्मिक समूहों का अनुमानित आकार
धर्म प्रतिशत
ईसाई धर्म          30.7%
इसलाम             24.9%
असंबद्ध            15.6%
हिन्दू धर्म            15.1%
बुद्ध धर्म             6.6%
लोक धर्म           5.6%
अन्य धर्म            1.5%
विश्व की वर्तमान आबादी लगभग 800 करोड़ है। जिसमे से अनुमान के अनुसार भारत मे रहने वाली जैन आबादी 47 लाख और विदेशों में निवासरत 3 लाख तो लगभग कुल 50 लाख की आबादी जैन धर्मावलंबियों की सम्पूर्ण विश्व मे है। प्रतिशत जैन आबादी की बात  करें तो फलावट में मात्र 0.0625 प्रतिशत है जो कि गणना में नगण्य ही है क्योकि यहूदी भी 0.2 प्रतिशत और सिख भी 0.3 प्रतिशत हैं तो अन्य धर्मों की लिस्ट में भी नाम नही आ पा रहा है। सोचने वाली बात तो है कि 16 वीं शताब्दी में 4 करोड़ जैन आबादी 2025 आते आते मात्र 50 लाख रह गयी जिसमे युवाओं की संख्या तो ओर भी कम है। अगले कुछ वर्षों में यह ओर तीव्रता के साथ घटने वाली है। एक अनुमान के मुताबिक 2051 में जैन आबादी भारत मे मात्र 35 लाख के आसपास होगी। चिंतन,मनन,मंथन जरूरी है साथ ही आवश्यक कदम समय रहते उठाने भी अति आवश्यक है।सभी को मिलकर इस दिशा में सटीक प्रयास करने चाहिए। जैन समाज की सभी राष्ट्रीय स्तर की संस्थाएं चिंतन शिविर का आयोजन कर ऐसे निर्णय लें जिससे कि यह चिंता समाप्त हो सके।

निवेदक:- संजय जैन बड़जात्या कामां,संवाददाता जैन गजट

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