पित्ताशय की पथरी/गॉलस्टोन का इलाज — विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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पित्त की पथरी यानि गॉलस्टोन छोटे पत्थर होते हैं, जो पित्ताशय की थैली में बनते हैं। पित्त की पथरी लीवर के नीचे होती है। पित्त की पथरी बहुत दर्दनाक हो सकता है यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो इसे निकालने के लिए एक ऑपरेशन की आवश्यकता हो सकती है। आपको बता दें कि पित्ताशय में जब कोलेस्ट्रोल जमने लगता है या फिर सख्त होने लगता है, तो हमें अक्सर पथरी की शिकायत हो जाती है। ऐसे में रोगी को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है और साथ में खाना पचने में भी दिक्कत आने लगती है।
लीवर और गॉल ब्लैडर के बीच बाइल डक्ट नामक एक छोटी-सी नली होती है, जिसके माध्यम से यह पित्त को गॉलब्लैडर तक पहुंचाता है। जब व्यक्ति के शरीर में भोजन जाता है तो यह ब्लैडर पित्त को पिचकारी की तरह खींच कर उसे छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में भेज देता है, जिसे डुओडेनियम कहा जाता है। इससे पाचन क्रिया की शुरुआत हो जाती है।
पाचन के लिए आवश्यक एंजाइम को सुरक्षित रखने वाले महत्वपूर्ण अंग यानी पित्ताशय से जुड़ी सबसे प्रमुख समस्या यह कि इसमें स्टोन बनने की आशंका बहुत अधिक होती है, जिन्हें गॉलस्टोन कहा जाता है। दरअसल जब गॉलब्लैडर में तरल पदार्थ की मात्रा सूखने लगती है तो उसमें मौजूद चीनी-नमक और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें गॉलस्टोन्स कहा जाता है।
कभी-कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्रोल, बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता है। 80 प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रोल की बनी होती (गॉल ब्लैडर स्टोन) है। धीरे-धीरे वे कठोर हो जाती हैं तथा पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेती है। कोलेस्ट्रॉल स्टोन पीले-हरे रंग के होते हैं।
पित्त में पथरी का बनना एक भयंकर पीड़ादायक रोग है। पित्त में कोलेस्ट्रॉल और पिग्मेंट नामक दो तरह की बनती है। लेकिन लगभग 80 प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रॉल से ही बनती है। पित्त लिवर में बनता है और इसका संग्रह गॉल ब्लैडर में होता है। यह पित्त फैट युक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। लेकिन जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो पथरी का निर्माण होता है।
गॉल ब्लैडर स्टोन क्यों होता है
-मधुमेह या डायबिटीज -मोटापा -गर्भधारण -मोटापे की सर्जरी के बाद -कुछ दवाओं का सेवन
-लंबे समय से किसी बीमारी के ग्रस्त होने के कारण
अन्य कारण
ब्रेड, रस्क और अन्य बेकरी उत्पाद- बेकरी में बने उत्पाद जैसे- ब्रेड, मफिन्स, कुकीज, कप केक आदि का सेवन पित्ताशय के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। दरअसल इन फूड्स में सैचुरेटेड और ट्रांस फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और इनमें से ज्यादातर फूड्स मैदे से बने होते हैं। अगर आपको गॉल ब्लैडर से संबंधित कोई रोग है, तो इन उत्पादों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इसकी जगह पर आप मोटे अनाज से बने आहारों का सेवन करें।
ज्यादा प्रोटीन भी है खतरनाक-अगर आपको अपने गॉल ब्लैडर को स्वस्थ रखना है, तो जानवरों में पाये जाने वाले प्रोटीन मात्रा सीमित कर देनी चाहिए। दरअसल जानवरों में पाए जाने वाले प्रोटीन से कैल्शियम स्टोन और यूरिक एसिड स्टोन के होने का खतरा बढ़ जाता है। मछली, मांस में प्रोटीन के साथ कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इनका सेवन बहुत अधिक नहीं करें। अगर आपको गॉल ब्लैडर स्टोन या किडनी में पथरी है, तब तो इनका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
मीठी चीजों का सेवन-मीठी चीजों में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में पाया जाता है। इसके साथ ही चीनी के ज्यादा सेवन से कोलेस्ट्रॉल गाढ़ा होता है, जिससे दिल के रोगों के साथ-साथ गॉल ब्लैडर में पथरी का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए मीठी चीजों का बहुत अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
गर्भनिरोधक दवाएँ –
ज्यादा मात्रा में या जल्दी-जल्दी गर्भनिरोधक दवाओं का प्रयोग करने वाली महिलाओं में भी गॉल ब्लैडर की समस्या काफी पाई जाती है। इसलिए महिलाओं को चाहिए कि दवाओं के बजाय अन्य प्रकार के गर्भनिरोधक उपायों को अपनाएं, क्योंकि दवाओं का ज्यादा सेवन उन्हें गॉल ब्लैडर में पथरी का मरीज बना सकता है। इसके अलावा इन दवाओं का किडनी और लीवर पर भी बुरा असर पड़ता है।
कॉफी-
अगर आप कॉफी का ज्यादा सेवन करते हैं, तो भी आपको गॉल ब्लैडर की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए जिन लोगों को गॉल ब्लैडर में पहले ही पथरी या अन्य कोई शिकायत है, उन्हें कॉफी का सेवन बिल्कुल बंद कर देना चाहिए। जो लोग स्वस्थ हैं, वो दिन में एक या दो कॉफी पी सकते हैं मगर इससे ज्यादा कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
सोडा का सेवन-
पथरी होने पर पानी का अधिक सेवन करने की सलाह दी जाती है, लेकिन कुछ पेय पदार्थ ऐसे भी होते हैं जो पथरी होने पर नहीं पीना चाहिए। स्टोन होने पर सोडा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए, इसमें फॉस्फोरिक एसिड होता है जो स्टोन के खतरे को बढ़ाता है।
लक्षण—बदहजमी-खट्टी डकार-पेट फुलाना-एसिडिटी-पेट में भारीपन-उल्टीपसीना आना जैसे लक्षण नजर आते हैं।
बचाव
आहार
–गाजर और ककड़ी का रस को 100 मि.ली. की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीने से पित्त की पथरी में लाभ होता है।
-सुबह खाली पेट 50 मि.ली. नींबू का रस पीने से एक सप्ताह में लाभ होता है।
-शराब, सिगरेट, चाय, कॉफी तथा शक्कर युक्त पेय हानिकारक है। इनसे जितना हो सके बचने की कोशिश करें।
-नाशपाती पित्त की पथरी में फायदेमंद होती है, इसे खूब खायें। इसमें पाये जाने वाले रासायनिक तत्वों से पित्ताशय के रोग दूर होते हैं।
-विटामिन-सी अर्थात् एस्कोर्बिक एसिड के प्रयोग से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनती है। यह कोलेस्ट्रॉल को पित्त में बदल देता है। इसकी तीन से चार गोली रोज लेने पर पथरी में लाभ होता है।
-पित्त पथरी के रोगी भोजन में अधिक से अधिक मात्रा में हरी सब्जियां और फल लें। इनमें कोलेस्ट्रॉल कम मात्रा में होता है और प्रोटीन की जरूरत भी पूरी करते हैं।
-तली और मसालेदार चीजों से दूर रहें और संतुलित भोजन ही करें।
-खट्टे फलों का सेवन करें। इनमें मौजूद विटामिन-सी गॉलब्लैडर की पथरी दूर करने के लिए काफी मददगार साबित होता है।
-रोजाना एक चम्मच हल्दी का सेवन करने से पथरी दूर होती है।
खाने से परहेज करनी चाहिए-
तली हुई खाद्य पदार्थ में हाइड्रोजनीकृत वसा, ट्रांस वसा और सेचुरेटेड वसा होती है जो आपकी पित्ताशय के दर्द को बढ़ा सकता है। तलने के लिए स्वस्थ विकल्प के रूप में आप जैतून या कैनोला तेल का उपयोग करें।
-पित्त की पथरी में परहेज की बात करें तो आपको मांसाहारी से भी परहेज करना चाहिए जैसे, मीट, लाल मांस, सूअर का मांस और चिकन आदि। इसके अलावा आप तैलीय मछली भी न खाएं।
आप चिप्स, कुकीज, डोनट्स, मिठाई या मिश्रित पैक वाले खाद्य पदार्थों से बचें।
व्हाइट ब्रेड, परिष्कृत आटा पास्ता, सफेद चावल और परिष्कृत चीनी ये सभी चीजें फैट का रूप ले लेती है, जो पित्त में कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि कर सकती है।
दूध, पनीर, दही, आइसक्रीम, भारी क्रीम और खट्टा क्रीम में उच्च स्तर के फैट होते हैं, जो पित्त की पथरी को बढ़ाने का काम करते हैं। अपने आहार में डेयरी की मात्रा कम करने की कोशिश करें या कम वसा वाले दूध को चुनें।
आपको शराब और तंबाकू से भी बचना चाहिए।
-पित्त की पथरी में अम्लीय फूड नहीं खाना चाहिए। खाद्य पदार्थ जो अम्लीय होते हैं, जैसे कि खट्टे फल, कॉफी और टमाटर सॉस न केवल आपके पेट के लिए जलन पैदा कर सकते हैं बल्कि इससे आपको पित्त की पथरी भी हो सकती है।
खाना चाहिए-
-फल और सब्जियों की अधिक मात्रा।
-स्टार्च युक्त कार्बोहाइड्रेट्स की अधिक मात्रा। उदाहरण के लिए ब्रेड, चावल, दालें, पास्ता, आलू, चपाती और प्लान्टेन (केले जैसा आहार)। जब सम्भव हो तब साबुत अनाजों से बनी वस्तुएं लें।
-थोड़ी मात्रा में दूध और डेयरी प्रोडक्ट लें। कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट लें।
फलियाँ और दालें।
-वनस्पति तेलों जैसे सूरजमुखी, रेपसीड और जैतून का तेल, एवोकाडो, मेवों और गिरियों में पाए जाने वाली असंतृप्त वसा।
-रेशे की अधिकता से युक्त आहार ग्रहण करें। यह फलियों, दालों, फलों और सब्जियों, जई और होलवीट उत्पादों जैसे ब्रेड, पास्ता और चावल में पाया जाता है।
-तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें, जैसे कि पानी या औषधीय चाय आदि का प्रतिदिन कम से कम दो लीटर सेवन करें।
जीवनशैली-
योग और व्यायाम-
नियमित व्यायाम रक्त ऊतकों में कोलेस्ट्रॉल को घटाता है, जो कि पित्ताशय की समस्या उत्पन्न कर सकता है। प्रतिदिन तीस मिनट तक, सप्ताह में पांच बार, अपेक्षाकृत मध्यम मात्रा की शारीरिक सक्रियता, व्यक्ति के पित्ताशय की पथरी के उत्पन्न होने के खतरे पर अत्यधिक प्रभावी होती है।
योग-
पित्ताशय की पथरी के उपचार के लिए जिन योगासनों का अभ्यास करना चाहिए, वह हैं-
-सर्वांगासन-शलभासन-धनुरासन-भुजंगासन
नाशपाती
नाशपाती में पेक्टिन नामक यौगिक होता है जो कोलेस्ट्रॉल से बनी पथरी को नरम बनाता है ताकि वे शरीर से आसानी से बाहर निकल सकें। वे पथरी के कारण होने वाले दर्द तथा अन्य लक्षणों से आराम दिलाने में सहायक होता है।
चुकंदर, खीरा और गाजर का रस
पित्ताशय की थैली को साफ और मजबूत करने और लीवर की सफाई के लिए चुकंदर का रस, ककड़ी का रस और गाजर के रस को बराबर मात्रा में मिलाये। यह संयोजन आपको पेट और खून की सफाई में भी मदद करता है। खीरे में मौजूद उच्च पानी सामग्री और गाजर में विटामिन-सी की उच्च मात्रा मूत्राशय से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है।
सिंहपर्णी
सिंहपर्णी के पत्ते लीवर और मूत्राशय के कामकाज में सहायता, पित्त उत्सर्जन को बढ़ावा और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। एक कप पानी में एक बड़ा चम्मच सिंहपर्णी के पत्तों को मिलाये। फिर इसे अवशोषित करने के लिए पांच मिनट के लिए रख दें। अब इसमें एक चम्मच शहद मिलायें। मधुमेह रोगियों को इस उपचार से बचना चाहिए।
पुदीना
यह पित्त तथा अन्य पाचक रसों को बढ़ाता है। इसमें टेरपिन नामक यौगिक पाया जाता है जो प्रभावी रूप से पथरी को तोड़ता है। आप पुदीने की पत्तियों को उबालकर पिपरमेंट टी भी बना सकते हैं।
इसबगोल
एक उच्च फाइबर आहार, पित्ताशय की थैली की पथरी के इलाज के लिए बहुत आवश्यक है। इसबगोल घुलनशील फाइबर का अच्छा स्रोत होने के कारण पित्त में कोलेस्ट्रॉल को बांधता है और पथरी के गठन को रोकने में मदद करता है। आप इसे अपने अन्य फाइबर युक्त भोजन के साथ या रात को बिस्तर पर जाने से पहले एक गिलास पानी के साथ ले सकते हैं।
नींबू
नींबू का रस प्रकृतिक रूप से अम्लीय होने के कारण यह सिरके की तरह कार्य करता है और लीवर में कोलेस्ट्रॉल को बनने से रोकता है। हर रोज खाली पेट चार नींबू का रस लें। इस प्रक्रिया को एक हफ्ते तक अपनाएं। इससे पथरी की समस्याआसानी से दूर हो सकती है।
लाल शिमला मिर्च
शरीर में भरपूर मात्रा में विटामिन-सी पथरी की समस्या कम करता है। एक लाल शिमला मिर्च में लगभग 95 मिलीग्राम विटामिन-सी होता है, यह मात्रा पथरी को रोकने के लिए काफी होती है। इसलिए अपने आहार में शिमला मिर्च को शामिल करें।
साबुत अनाज
पानी में घुलनशील फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों जैसे साबुत अनाज और अन्य अनाज को अपने आहार में भरपूर मात्रा में शामिल करें। फाइबर कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम कर स्वाभाविक रूप से पथरी को बनने से रोकने में मदद करते हैं।
हल्दी
पित्ताशय की पथरी के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है। यह एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेट्री (प्रदाहनाशक) होती है। हल्दी पित्त, पित्त यौगिकों और पथरी को आसानी से तोड़ने में मदद करती है। ऐसा माना जाता है कि एक चम्मच हल्दी लेने से लगभग 80 प्रतिशत पथरी खत्म हो जाती है।
विटामिन सी
विटामिन-सी शरीर के कोलेस्ट्रॉल को पित्त अम्ल में परिवर्तित करती है जो पथरी को तोड़ता है। आप विटामिन-सी संपूरक ले सकते हैं या ऐसे खाद्य पदार्थ खा सकते हैं जिनमें विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में हो जैसे संतरा, टमाटर आदि। पथरी के दर्द के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपाय है।
आयुर्वेदनुसार —
नरसरादि पुष्प — ५ ग्राम पानी के साथ
पित्ताशय शूलहर योग —५ ग्राम पानी से दिन में चार बार
अमृतारिष्ट –२० एम् एल भोजन के बाद पानी से
कालमेघासव –२० एम् एल सुबह शाम भोजन के बाद पानी से
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३

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