पंचम काल का चमत्कार : दिगम्बर जैन साधु-आचार्यश्री विमर्श सागर जी हरिनगर में आचार्य संघ का भव्य स्वागत सोनल जैन की रिपोर्ट दिल्ली

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दिनाँक 08/07/24 को प्रातः श्री दिगम्बर जैन महावीर मंदिर में प.पू. जिनागम पंथ प्रवर्तक, जीवन है पानी की बूँद महाकाव्य के मूल रचयिता, विमर्श लिपि के सृजेता, भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज के विशाल चतुर्विध संघ का मंगल आगमन हुआ, दिगम्बर जैनाचार्य के स्वागत में हरिनगर जैन समाज ने पलक पावड़े विछा दिये। प्रातः 08 बजे गाजे वाजे के साथ सैकड़ों श्रध्दालुओं ने पूज्य गुरुवर की भव्य भगवानि की, जगह जगह गुरूदेव के पादप्रक्षालन एवं आरती उतारी गई। आचार्य संघ हरिनगर नियत अंतिम तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी के मंदिर में पहुंचा जहाँ प्रभुदर्शन कर। सामूदायिक भवन में प्रवचन सभा का आयोजन किया गया। जिसमें चित्र भवावरण, दीप प्रज्ज्वनम, गुरुपाद प्रक्षालन, एवं शास्त्र भेंट के साथ भव्यता से संगीतमय शुरु ‘पूजन की गई। उपरान्त पूज्य आचार्य श्री के मंगल प्रवचन हुये।
दिगम्बर जैनाचार्य ने आम जन बोध प्रधायक अपने मंगल उद्‌बोधन में कहा कि दिगम्बर जैन साधु ०गी कठोर साधना इस पंचम काल में सबसे बड़ा अतिशय है। भोगों को भोगकर सुख चाहने वाले इस भौतिक जगत के सभी सुख साधनों के परित्यागी जैन साधक आजीवन पग विहार करते हैं। सभी प्रकार के बाहनों के व्यागी होते हैं। दिन में एक बार भोजन और पानी गृष्ण करते हैं। एवं प्राणी भाज की रक्षा के लिये अहिरता धर्म का पालन करने के लिये वे अपने साथ मयूर पंख से निर्मित एक कोमल पिच्छिका का रखते हैं। जेन साधु जन्म जात निर्विकारी दिगम्बर स्वरूप को धारण कर अपने कल्याण के साथ-साथ अपने उपदेशों से जन जन कथा – कल्याण करते हैं। वे कभी गरीब, अमीर में, छोटे-बो में, भेद महीं करते, समभाव से सभी वको एक सा माशीवदि प्रदान करते है। प्रवचन के उपरान्त संघ की आहार चर्या से भी के सेमी गुरुभक्तों ने पुण्य लाभ लिया। 08-07-2024 शाम को आचार्य संघ 7.5 km बिहार कर करमपुरा जैन मंदिर पहुंचेगा। आज गुरु बिहार में- जिनागमपंथी श्रावक संघ, स्याद्वाद युवा संगठन, संत सेवा समिति, हरिनगर, द्वारका, कृष्णानगर, चांदनी चौक आदि जनकपुरी आदि भनेको स्थानों से सेकड़ों श्रद्धालु सामिल हुये।

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