सकारात्मक सोच, समझने और ध्यान चिन्तन में डूबने वाले लोग..हमेशा श्रेष्ठ सलाह और सहयोग प्रदान करते हैं..वे कभी सार्वजनिक खेल तमाशा और गाली गलौज, अपशब्द का प्रयोग नहीं करते..!मैं देख रहा हूं — आजकल लोग ध्यान, पूजन, पाठ, भजन सब भूलते जा रहे हैं। मन्दिर जाने का मन नहीं करता, जाप पाठ में मन नहीं लगता, ध्यान में रूचि नहीं, स्वाध्याय से लगाव नहीं। आज के आदमी का सिर्फ पैसा कमाना, घूमने-फिरने और खाने के लिये होटलों में जाना ही काम रह गया है।
आचार्यों ने कहा है — जिसे इस जीवन में दुःख परेशानियों ने घेर रखा है, जाप पाठ में मन नहीं लगता, ध्यान चिन्तन से बोर होता है और जिसे स्वाध्याय के नाम से नींद आती है,, तो समझना वह इस जीवन में दुःख, परेशानी, कोर्ट कचहरी और डाॅक्टर से कभी पीछा नहीं छुड़ा पायेगा। सौ बात की एक बात — धर्मात्मा कभी दु:खी परेशान नहीं होगा और जो दु:खी परेशान और बीमार है,, वह धर्मात्मा हो नहीं सकता। धर्मात्मा कभी अस्पताल में नहीं मरेगा, कर्जदार नहीं होगा, लंगड़ा लूला, असहाय गरीब नहीं होगा, दीन हीन लाचार नहीं होगा।
संसार में धर्म ही सच्चा साथी है जिसे हम दु:खी मन से, परेशान होकर अनचाहे मन से करते हैं। दान भी देते हैं तो रो रोकर देते हैं, शुभ कार्य भी मजबूरी में करते हैं, अतिथि सत्कार भी मुँह देखकर करते हैं। आज हम सभी शुभ कार्य या तो गुरू जनों के दबाव में, या समाज के प्रभाव से करते हैं,, लेकिन ना स्वभाव से, ना उत्साह से, और ना श्रद्धा से करते हैं। इसलिए तो हम धर्म, दान, त्याग करके भी दु:खी परेशान रहते हैं…!!! आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज एवं उपाध्याय पियूष सागरजी महाराज ससंघ तरुणसागरम तीर्थ पर वर्षायोग हेतु विराजमान हैं उनके सानिध्य में वहां विभिन्न धार्मिक कार्योंकम संपन्न हो रहें हैं उसी श्रुंखला में उपस्थित गुरु भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा।