दिगम्बर जैन धर्म की लुप्त प्रायः हो रही यति सम्मेलन परम्परा के प्रणेता थे आचार्य विराग सागर-मुनि समत्व सागर जैन साहित्य में समाधि मरण मृत्यु महोत्सव होता है भट्टारक जी की नसियां में गणाचार्य विराग सागर महाराज की विन्यांजलि सभा में उमड़े श्रद्धालु

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जयपुर – 6 जुलाई – महाराष्ट्र के जालना में समाधिस्थ हुए 350 से अधिक जिनेश्वरी दीक्षा प्रदान करने वाले राष्ट्र संत गणाचार्य विराग सागर महाराज की विन्यांजलि सभा मुनि समत्व सागर महाराज एवं मुनि शील सागर महाराज के सानिध्य में सकल दिगंबर जैन समाज एवं श्री मुनि संघ सेवा समिति बापूनगर के तत्वावधान में शनिवार को आयोजित की गई ।इस मौके पर मुनि समत्व सागर महाराज ने कहा कि जीवन जीना जिसको सीखना है उसे मरने की कला भी सीखनी होगी। उन्होंने कहा कि जयपुर के सीकर रोड पर भवानी निकेतन में मई, 2012 में प्रथम यति सम्मेलन युग प्रतिक्रमण करवाकर आचार्य विराग सागर महाराज ने दिगम्बर जैन धर्म की लुप्त प्रायः हो रही परम्परा को पुनः जीवित किया है। जिन संस्कृति णमो लोए सव्व साहूणमं में सभी श्रमणों को समान दृष्टि से देखती है। संत हमारी आस्था, श्रद्धा और संस्कृति के जीवन्त प्रतीक है। आचार्य श्री आज भी हमारे बीच में है, हमें उनके बताए मार्ग पर चलकर जैन संस्कृति को आगे बढाना होगा। समाज को आज मजबूत एकता की आवश्यकता है, श्रमण परम्परा के आचार्य विमल सागर, आचार्य विद्यासागर,आचार्य विराग सागर जैसे महान आचार्यों ने ही जिन संस्कृति एवं जिनागम को जीवन्त रखा हुआ है। आचार्य चतुर्विद संघ के जननायक थे। उनके जैसा अनुशासन, दूरदर्शिता, वात्सल्य और स्नेह देखने को ही मिलता है। बिना आगम के प्रमाण के एक भी परम्परा उन्होंने नहीं चलाई है। आगम के प्रमाण के साथ ही वे उपदेश देते थे।
जयपुर के यति सम्मेलन एवं युग प्रतिक्रमण एवं दिगम्बर जैन साधु संतों के विचरण को इतिहास में सुरक्षित रखने के लिए ताम्र पत्र एवं शिलालेखों पर लिखना चाहिए।
श्री मुनि संघ सेवा समिति बापूनगर के अध्यक्ष राजीव जैन गाजियाबाद ने बताया कि भट्टारक जी की नसियां में शनिवार को दोपहर 2 बजे से आयोजित इस विन्यांजलि एवं गुणानुवाद सभा में
जयपुर के दिगम्बर जैन मंदिरों, दिगम्बर जैन संस्थाओं, महिला मण्डलों, युवा मण्डलों एवं सोश्यल ग्रुपों के पदाधिकारी एवं समाज के गणमान्य श्रेष्ठीजन शामिल हुए ।
विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि विन्यांजलि एवं गुणानुवाद सभा में श्रद्धालुओं ने अश्रुपूरित एवं अवरुद्ध कंठो से आचार्य श्री विराग सागर महाराज के सानिध्य में बिताए गये अविस्मरणीय क्षणों का बखान किया, कार्यक्रम में जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने शिरकत करते हुए कहा कि
शुरु में सीमा जैन गाजियाबाद ने ‘ले के एक आस चलो गुरु के पास…… मंगलाचरण प्रस्तुत किया, कार्यक्रम में मुनि सेवा समिति राजस्थान के अध्यक्ष देव प्रकाश खण्डाका, राजीव जैन गाजियाबाद, एन के सेठी, सुनील बख्शी, पदम चन्द बिलाला, प्रदीप जैन, विनोद जैन कोटखावदा,हेमन्त सोगानी, सुमेर रावकां, शीला डोड्या, कमलबाबू जैन,रविन्द्र बज, जगदीश जैन, संजय जैन, पं. सनत कुमार शास्त्री, इंदिरा बड़जात्या, जिनेन्द्र जैन जीतू आदि ने गणाचार्य श्री के प्रति विन्यांजलि प्रस्तुत करते हुए उनके जीवन चरित्र, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। गणाचार्य विमल सागर महाराज का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए डाॅ विमल कुमार जैन ने मंच संचालन किया।अन्त में विश्व शांति प्रदायक णमोकार महामंत्र का नो बार सामूहिक पाठ किया गया। जिनवाणी स्तुति से समापन हुआ।इस मौके पर प्रवीण चंद्र छाबड़ा, महेश चांदवाड,उत्तम कुमार पाण्डया, समाचार जगत के शैलेन्द्र गोधा, महेन्द्र सेठी, अशोक पाण्डया, आलोक जैन, मनोज झांझरी, नवीन संघी, भागचंद जैन मित्रपुरा, सुभाष बज, मनीष बैद, राजेंद्र बिलाला, चौधरी, मनीष चोधरी,चेतन जैन निमोडिया, प्रकाश गंगवाल तथा राजाबाबू गोधा फागी सहित बडी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।

राजाबाबू गोधा जैन महासभा मीडिया प्रवक्ता राजस्थान

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