औरगाबाद दिली नरेंद्र /पियूश जैन मनुष्य किस्मत की डायरी में क्या क्या लिखवाकर आया है, यह तो उसका कर्म और परमात्मा ही जान सकता है। लेकिन किस्मत की डायरी के पृष्ठों को यदि बदलना है तो निरन्तर प्रयास, अभ्यास और सही दिशा की ओर की गई मेहनत ही जीवन की धारा को मोड़ सकती है। चूंकि यह आलसी अजगर नन्दो का समय नहीं, बल्कि यह सदी रेत से तेल निकालने वालों की है। मतलब यह परिश्रम की सदी है, मेहनत करने का वक्त है।परिश्रम और प्रयास में एक बात का सदा ध्यान रखना — जोश, जुनून और जागरूकता के साथ निरन्तर उस दिशा में अभ्यास बहुत ज़रूरी है, जिस दिशा में हमको मंजिल पाना है। बहुत मेहनत करें, पर खूब लगन अभ्यास के साथ। अभ्यास से तात्पर्य है कि निरन्तरता, जोश और जूनून बना रहे। कहीं ऐसा नहीं हो कि दो-तीन दिन तो उत्साह से किया, फिर ठीक है कर लेते हैं। फिर सात दिन बाद चलो कर आते हैं, फिर 10 दिन बाद जब मन हुआ तब चले गये और काम सल्टाकर आ गये। जैसे नदी का पानी निरन्तर गतिशील रहता है। जैसे हम आप 24 घन्टे स्वांस लेते हैं, कहीं उसमें ब्रेक नहीं देते। वैसे ही कार्य की सफलता के लिए निरन्तर अभ्यास बहुत ज़रूरी है। यदि हमने जोश और जुनून के साथ अभ्यास नहीं किया तो वह सफलता ऐसी ही होगी जैसे देख तो पीछे रहे हैं और दौड़ आगे रहे हैं। जैसे हिरण शेर से तेज दौड़ती है लेकिन वह हिरण शेर की शिकार बन जाती है, क्यों -? क्योंकि शेर जानता है कि उसे छलांग कब लगाना है। उसी प्रकार सफलता के लिये कब छलांग लगाना है यह आपका अभ्यास ही तय करेगा। सौ बात की एक बात_ — पानी की एक एक बून्द बड़े बड़े पत्थर में भी छेद कर देती है, निरन्तर अभ्यास से…!!! अंतर्मना गुरुदेव ससंघ श्रीतरुणसागरम् तीर्थ (जैन मंदिर) मुरादनगर, गाजियाबाद उत्तरप्रदेश में विराजमान है उभय मासोपवासी साधना महोदधि प.पू. अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्नसागर जी महाराज उपाध्याय श्री 108 पियूष सागर जी महाराज विगत कई वर्षों से निरंतर चल रही प्रतिदिन प्रातः पूजन दीप आराधना हुई संपन्न हुई जिसमे बड़ी संख्या में भक्तो ने पूजन का लाभ प्राप्त किया साधना के शिरोमणि अंतर्मना गुरुदेव के मुखरविन्द से संपन्न हुई अभिषेक शांतिधारा इष्टोपदेश_स्वाध्याय आचार्य_प्रसन्नसागरजी महाराज(आत्मा, कर्म, और मोक्ष ध्यान) तेज दोपहरी भीषण गर्मी में उपवास में साधना शिरोमणि प्रतिदिन घंटो करते है खुले में सामायिक समस्त संघ का उपवास अंतर्मना गुरुदेव के 3उपवास
उपाध्याय श्री पीयूष सागर जी महाराज एवं छुल्लिका श्री वचन प्रभा माता जी त्रिलोकसार व्रत हो चुके है आरम्भ व्रत अवधि – 41 दिन उपवास – 30 पारणाएँ – 11 व्रत प्रारम्भ : 3 जुलाई 2025 महापारणा : 12 अगस्त 2025अंतर्मना गुरुभक्त परिवार के द्वारा अष्टद्रव के सहित रूप से संपन्न हुई गुरुपुजन संध्या गुरुभाक्ति प्रवचन मंगल आरती संपन्न हुई। नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद



