अनियतविहारी गुरु के शिष्य का अनियतविहार

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मड़ावरा जिला ललितपुर में परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य मुनि  श्री अक्षय सागर जी महाराज का वर्ष 2024 का वर्षायोग अनेक प्रभावनामयी आयोजन के साथ सम्पन्न हुआ। मेरा भी सौभाग्य रहा कि वर्षायोग के दौरान पूज्य मुनिश्री से साहित्यिक आदान-प्रदान होता रहा। इस दौरान पूज्य मुनिश्री के विशिष्ट आलेख पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ वहीं उनकी छोटी-छोटी महत्वपूर्ण कृतियों का भी स्वाध्याय का अवसर प्राप्त हुआ।
दिनांक 2 नवम्बर 2024 को पूज्य मुनिश्री के दर्शनार्थ मड़ावरा जाना था इसलिए दोपहर में 1.40 बजे श्री संभव जैन से मड़ावरा में कन्फर्म किया कि मुनिश्री मड़ावरा में ही विराजमान हैं। इसके 10 मिनिट बाद श्री संभव जैन ने ही सूचना दी कि मुनिश्री का मङ्गल विहार मड़ावरा से गिरार की ओर हो गया है। मड़ावरा वाले भी अचंभित थे कि अभी 1 नवम्बर को  ही तो भगवान महावीर स्वामी का निर्वाणोत्सव मुनिश्री के सान्निध्य में मनाया था, कोई पूर्व आभास भी नहीं कि मुनिश्री का 2 नवम्बर को इतनी जल्दी यकायक विहार हो गया।
लेकिन बाद में समझ में आया कि जैसे मुनिश्री के गुरु जी आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज  अनियतविहारी थे तो शिष्य भी उसी पथ का अनुसरण कर रहे हैं। अनियतविहारी गुरु के शिष्य का अनियतविहार देख मड़ावरावासी भी पीछे से दौड़ पड़े।*अनियतविहारी गुरु के शिष्य का अनियतविहार*
मड़ावरा जिला ललितपुर में परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य मुनि  श्री अक्षय सागर जी महाराज का वर्ष 2024 का वर्षायोग अनेक प्रभावनामयी आयोजन के साथ सम्पन्न हुआ। मेरा भी सौभाग्य रहा कि वर्षायोग के दौरान पूज्य मुनिश्री से साहित्यिक आदान-प्रदान होता रहा। इस दौरान पूज्य मुनिश्री के विशिष्ट आलेख पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ वहीं उनकी छोटी-छोटी महत्वपूर्ण कृतियों का भी स्वाध्याय का अवसर प्राप्त हुआ।
दिनांक 2 नवम्बर 2024 को पूज्य मुनिश्री के दर्शनार्थ मड़ावरा जाना था इसलिए दोपहर में 1.40 बजे श्री संभव जैन से मड़ावरा में कन्फर्म किया कि मुनिश्री मड़ावरा में ही विराजमान हैं। इसके 10 मिनिट बाद श्री संभव जैन ने ही सूचना दी कि मुनिश्री का मङ्गल विहार मड़ावरा से गिरार की ओर हो गया है। मड़ावरा वाले भी अचंभित थे कि अभी 1 नवम्बर को  ही तो भगवान महावीर स्वामी का निर्वाणोत्सव मुनिश्री के सान्निध्य में मनाया था, कोई पूर्व आभास भी नहीं कि मुनिश्री का 2 नवम्बर को इतनी जल्दी यकायक विहार हो गया।
लेकिन बाद में समझ में आया कि जैसे मुनिश्री के गुरु जी आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज  अनियतविहारी थे तो शिष्य भी उसी पथ का अनुसरण कर रहे हैं। अनियतविहारी गुरु के शिष्य का अनियतविहार देख मड़ावरावासी भी पीछे से दौड़ पड़े।
अन्ततः शाम को ग्राम भीकमपुर में पूज्य मुनिश्री का दर्शनलाभ लिया और करीब एक घण्टे तक तत्त्व-चर्चा हुई।
*डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर*
अन्ततः शाम को ग्राम भीकमपुर में पूज्य मुनिश्री का दर्शनलाभ लिया और करीब एक घण्टे तक तत्त्व-चर्चा हुई।

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