श्री दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र हस्तिनापुर की स्मरणीय यात्रा

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श्री दिगंबर जैन बडा मंदिर कूचा सेठ, चांदनी चौंक दिल्ली में हाल ही में आयोजित श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के संपन्न होने पर तथा तीर्थंकर जन्मकल्याणक समारोह समिति धर्मपुरा के संयुक्त तत्वावधान में सर्वश्री जिनेंद्र जैन, पी के जैन, कुलदीप जैन, भारतभूषण जैन, कैलाश चंद जैन, रमेश चंद्र जैन एडवोकेट नवभारत टाइम्स, पंकज जैन, अंकुर जैन, विवेक जैन, चक्रेश, निर्मला, रानी, मेघा, आदि के संयोजन में 50 यात्रियों ने 31 मार्च को तीर्थक्षेत्र हस्तिनापुर में तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ, कुंथुनाथ व अरःनाथ की जन्मभूमि निशियों व भगवान मल्लिनाथ की सभी निशियों के दर्शन कर वंदना की। साथ ही  प्राचीन मंदिर प्रांगण में
सभी मंदिरों, कैलाश पर्वत, जंबूद्वीप आदि  सभी के दर्शन किए। यहां विराजमान दि. मुनि समाधि सागरजी व अन्य संतों के दर्शन किए।
विदित हो उपरोक्त तीनों तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म, तप व ज्ञान कल्याणक यहीं पर हुए हैं। भगवान मल्लिनाथ का समोशरण यहां आया। भगवान पारसनाथ भी
दीक्षा के बाद यहां पधारे थे। भगवान आदिनाथ को राजा श्रेयांस ने इक्षुरस का आहार कराकर आहार परंपरा यहीं से शुरू की। अकम्पनाचार्य आदि 700 मुनियों
का उपसर्ग निवारण कर रक्षा बंधन पर्व यहीं से शुरू हुआ। भगवान महावीर के यहां पधारने का उल्लेख भी मिलता है। कौरव-पांडव भी यंही पर हुए। यह नगरी
अनेक चक्रवर्ती राजाओं की राजधानी रही। यहां पूज्य सहजानंद वर्णी जी द्वारा स्थापित प्राचीन गुरूकुल भी है।
कोरोना काल में मैने चिंतन करते हुए यहां के बारे में दो पंक्तियां रची थी – चार-चार कल्याणक कर गए, शांति, कुंथु, अरहनाथ।  उत्तर का तीर्थ हस्तिनापुर महान, सदा नवाऊं सिर माथ।  बचपन बडे बुजुर्गों से सुनते थे कि उत्तर भारत का कोई भी श्रावक जब शिखरजी की यात्रा करके आता था तो बडी यात्रा के बाद छोटी यात्रा में हस्तिनापुर की ही यात्रा की जाती थी। यहां के दर्शन कर अत्यंत आत्मिक आनंद की प्राप्ति होती है। इसी यात्रा दल ने पिछले दिनों 1 से 6 मार्च तक
काकंदी, श्रावस्ती, रत्नपुरी, अयोध्या व वाराणसी में 12 तीर्थंकरों की जन्मभूमियों के दर्शन किए थे।
प्रस्तुतिः रमेश चंद्र जैन एडवोकेट नवभारत टाइम्स नई दिल्ली।

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