मुनि संघ भव्य मंगल प्रवेश हुआ

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आंखों की सुंदरता से क्या नहीं होता
नैनवा 13 जुलाई शनिवार, प्रातकाल 7:00 बजे
मुनि संघ का मंगल प्रवेश नेमिनाथ तीर्थ क्षेत्र पर हुआ वहां पर 1008 नेमिनाथ भगवान का अपार भक्तों ने शांति धारा पूजन कर निर्माण लड्डू चढ़ाया मंगल प्रवेश
जैन मुनि श्रुतेश सागर मुनि संविज्ञ सागर क्षुल्लक सुप्रकाश सागर जी
समाज द्वारा भव्य अगवानी की साथ जय जयकारों से पक्षालन कर सभी जिनालयों दर्शन करते हुए सदर बाजार लोहड़ी चोहटी पहुंचे
रास्ते में जगह-जगह जैन परिवारों द्वारा उनका पाद पक्षालन किया गया
वहां पर भगवान महावीर के चित्र पर दीप प्रज्वलित किशनगढ़ से आए,मुनी भक्तों में पंकज जैन अक्षय जैन अहम् जैन वक्षत जैन मेहुल जैन लकी जैन द्वारा दीप प्रज्वलित कर वर्षा योग समिति द्वारा तिलक माला दुपट्टा पगड़ी आदि पहना कर स्वागत सत्कार किया गया
समिति के अध्यक्ष विनोद मारवाड़ा मोहन मारवाड़ा कमल मारवाड़ा महावीर सरावगी बाबूलाल बरमुंडा
सुनील मारवाड़ा नरेंद्र जैन भरनी वाला विनोद जैन बनी ज्ञानचंद जैन हरसोडा सदस्यों ने स्वागत सम्मान किया
मंगलाचरण की प्रस्तुति जैन पाठशाला की नन्हे मुन्ने बालिका द्वारा दी गई पंडित जी भागचंद शास्त्री द्वारा सिद्ध चक्र मंडल विधान की बोलियां संपन्न हुई

जैन मुनि श्रतेश सागर महाराज ने अपर धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया
पुरुषार्थ करने से मनुष्य का भाग्य चमकता है नैनंवा वालों ने 6 बार किशनगढ़ जाने का प्रयास किया था उसका फल तीन साधुओं का वर्षा योग्य नैनवा में संपन्न हो रहा है
इस दुनिया में संपत्ति का मिलना अच्छे पुत्र का मिलना अच्छी पत्नी का मिलने पर भी ईश्वर को सदैव अपने दोनों आंखों में बसाए रहना चाहिए
ईश्वर को कभी अपने आंखों से दूर नहीं करना चाहिए
रात को पतंगा लाइट के प्रकाश आने पर लाइट पर आशस्त होकर उसमें अपना जीवन गवा देता है
मनुष्य आंखों की सुंदरता से उसकी छवि बहुत ही सुंदर लगती है दो आंखें मिलने पर अर्थ का अनर्थ भी होता है
मुनि ने बताया कि रावण महान पंडित तीन खंड का स्वामी था सीता के सुंदर नैन देखने पर ही वह सीता पर आशक्त हो गया आंखों की सुंदरता के साथ कारण ही सीता का हरण किया रावण को उसकी पत्नी मंदोदरी भाई पुत्रों ने बहुत ही समझने का प्रयास किया रावण ने उनकी एक न सुनी सीता हरण के कारण ही रावण का पतन हुआ
आज का मनुष्य संसारी भोगों में इतना आसक्त हो गया कि उसे अपना अच्छा बुरा का ज्ञान भी नहीं रहता मनुष्य के पास जो मिला है उसमें संतोष करना व पर वस्तु का त्याग करना मनुष्य की अनोखी मुनि ने पहचान बताई
महावीर कुमार जैन सरावगी
दिगंबर जैन समाज प्रवक्ता नैनवां

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