महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्रीं एकनाथ शिंदेआज प्रातः
साधना शिरोमणि अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज
ससंघ के दर्शनार्थ हेतु. हातकणंगले कोल्हापुर मे पधारे दर्शन के पश्चात गुरुदेव के द्वारा उत्कृष्ट साधना की अद्भुत कृति भेंट कर धर्म प्रभावना का मंगल आशीष प्रदान किया ईस अवसर पर प्रसन्न सागर महाराज ने कहाॅ की खरीद लो पैसों से संसार के सारे सुख सुविधाओं को..
बस जाते-जाते इतना बता देना सूकून का भाव क्या था..?
संसार में कुछ भी व्यर्थ नहीं है। जीवन से जीवन जुड़ा है। मनुष्य जाति अकेली जिंदा नहीं रह सकती, उसे जिंदा रहने के लिए पशु और पक्षियों का, यहाँ तक कि पेड़ और पौधों का, सागर-सरिताओं का साथ भी जरूरी है।
पूरी दुनिया एक कम्बाइंड फैमिली है। पूरा ब्रह्मांड एक संयुक्त परिवार है। यहाँ हर एक का जीवन किसी दूसरे जीवन से जुड़ा है। तुम्हारे घर के सामने एक पत्थर पड़ा है, अथवा वह जो पेड़ खड़ा है, वह भी व्यर्थ नहीं है। कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में, तुम्हारा जीवन उससे भी जुड़ा है। उस पत्थर को क्षति पहुँचाना अथवा उस पेड़ को नष्ट करना, परोक्ष रूप से अपने विनाश को आमंत्रित करना है।
पहले वृक्षों और जंगलों की अंधाधुंध कटाई करके हमने हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों को नंगा कर दिया, लेकिन पर्यावरण की दृष्टि से जब यह महसूस होने लगा जीवन अस्तित्व के लिए वृक्षों का होना बहुत जरूरी है। पर्यावरण संतुलन के लिए हरे-भरे जंगलों का होना जरूरी है, तो जोर शोर से जंगलों को विकसित किया जाने लगा और वृक्षारोपण अभियान चलाया जाने लगा।
जब जागो तब सवेरा…!! ! नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद