फागी कस्बे में विराजमान आर्यिका रत्न 105 विजय मति माताजी स संघ के पावन सानिध्य में सम्पूर्ण जैन समाज ने आचार्य श्री को दी भावभीनी श्रद्धांजलि
आचार्य विराग सागर जी महाराज का अचानक महासमाधि मरण होने का हमें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है ऐसा प्रतीत होता है कि वे अभी भी हमारे बीच विराजमान हैं
फागी संवाददाता
फागी कस्बे सहित परिक्षेत्र में प.पू.राष्ट्रसंत ,भारत गौरव,
संतशिरोमणी ,गणाचार्य,युग प्रतिक्रमण प्रवर्तक , उपसर्ग विजेता बुन्देलखण्ड के प्रथमाचार्य 108 विराग सागर जी महाराज के समाधिस्थ हो जाने के समाचार सुनकर फागी कस्बे सहित परिक्षेत्र के चकवाडा ,चोरू, नारेड़ा, मंडावरी, मेहंदवास, निमेडा लसाडिया तथा लदाना, सहित सम्पूर्ण राजस्थान सहित पूरे भारतवर्ष के जैन समाज में ही नहीं अपितु पूरे विश्व के जैन समाज में शोक की लहर दौड़ गई, जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने अवगत कराया कि फागी कस्बे के दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ चैत्यालय में विराजमान आर्यिका विजय मति माताजी स संघ के पावन सानिध्य में आयोजित विनयांजलि सभा में उपस्थित सभी श्रावक श्राविकाओं के द्वारा आचार्य श्री विराग सागर महाराज को भावभीनी विनियांजलि अर्पित कर नम आंखों से श्रृद्धांजलि दी गई। आर्यिका विजय मति माताजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि उक्त समाधि मरण से जिन शासन की अपूरणीय क्षति हुई है, आचार्य विराग सागर जी महामुनि राज ने अपने कर कमलों से 350 से ज्यादा दीक्षार्थियों को दीक्षित कर दीक्षा प्रदान कर मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर किया,आप विशाल संघ के जननायक थे,इसी कड़ी में अग्रवाल समाज के अध्यक्ष महावीर झंडा, सरावगी समाज के अध्यक्ष महावीर अजमेरा ने अवगत कराया कि आचार्य श्री ने अपने जीवन में अभूतपूर्व कार्य किए हैं, अनेक जीवंत कृतियों का सृजन कर श्रमण संस्कृति का संवर्धन किया है, कार्यक्रम में महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने आचार्य श्री के जीवन परिचय में अवगत कराया कि आपका जन्म 2 मई 1963 को पथरिया जिला दमोह मध्य प्रदेश में हुआ था, आपके पिता का नाम श्री कपूर चंद जी (समाधिस्थ क्षुल्लक श्री विश्ववन्ध सागर जी) एवं माता का नाम श्रीमती श्यामा देवी (समाधिस्थ श्री विशांत श्री माताजी) है । आपने आचार्य श्री 108 सन्मति सागर महाराज द्वारा 2 फरवरी 1980 को 17 वर्ष की आयु में बुढार ग्राम में क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की तब आपका नाम श्री पूर्ण सागर रखा गया,एवं आचार्य श्री 108 विमल सागर जी महाराज द्वारा 9 दिसंबर 1983 को औरंगाबाद में मुनि दीक्षा ग्रहण की और आपका नाम विराग सागर रखा गया एवं 8 नवंबर 1992 को 29 वर्ष की आयु में सिद्ध क्षेत्र द्रोणागिरी जिला (छतरपुर )में आपको आचार्य पद से सुसुशोभित गया,गणाचार्य विराग सागर जी महाराज का 4 जुलाई 2024 को प्रातः 2.30 बजे के आस पास जालना (महाराष्ट्र)शहर के नजदीक देवमूर्ति ग्राम सिंदखेड राजारोड पर जिनवाणी की साधना करते हुए समता पूर्वक समाधी मरण हो गया,इस समाचार से सारा जैन समाज क्षुब्ध है। कार्यक्रम में फागी पंचायत के पूर्व प्रधान सुकुमार झंडा एवं पूर्व प्रधान महावीर जैन ने बताया कि आप वात्सल्य की मूर्ति थे,आप सब जीवों के प्रति क्षमा भाव रखते थे। हमें उनके आदर्शो को जीवन में उतार कर धर्म की रक्षा करनी चाहिए, कार्यक्रम में चातुर्मास व्यवस्था के नव निर्वाचित अध्यक्ष विनोद कलवाडा एवं मंदिर समिति के मंत्री कमलेश चोधरी ने बताया कि आपके द्वारा प्रमुख शिष्यों में आचार्य विशुद्ध सागर महाराज, आचार्य विमद सागर महाराज, आचार्य विभवसागर महाराज , आचार्य विन्रमसागर महाराज, आचार्य विनर्स सागर महाराज, आचार्य विमर्श सागर महाराज आदि शिष्य दीक्षित किए गए हैं। आपनेअनेक समाधियां करवाई है, आपके दिशानिर्देश में, आपके पावन सानिध्य में,आपकी प्रेरणा से अनेक सिद्ध क्षेत्रों, अतिशय क्षेत्रों, एवं जिनालयों का नवीनीकरण हुआ है, पंडित केलास कडीला ने बताया कि आपने 44 वर्ष के संयमी जीवन काल में समता पूर्वक 44 पावन वर्षा योग किये है। आपका जीवन धर्म की प्रवाहना में अग्रणी रहा है,आपने सम्पूर्ण जैन समाज में धर्म के प्रति अकल्पनीय जागृति पैदा कर समाज को नई दिशा प्रदान की है।आपके समाधि मरण से जिन शासन के सूर्य का अंत हो गया, आध्यात्मिक युग का अंत हो गया, इसी कड़ी में धर्मगुणामृत ट्रस्ट चकवाड़ा के मुख्य ट्रस्टी ताराचंद जैन स्वीटकेटर्स , अध्यक्ष अशोक जैन अनोपडा जयपुर,गुणसागर महाराज के संघपति विमल बड़जात्या मदनगंज किशनगढ़, जयकुमार गंगवाल,एडवोकेट विनोद जैन चकवाड़ा, महावीर बाकलीवाल, प्रकाश बडजात्या चोरू, नरेंद्र गोधा नारेड़ा, मोहनलाल अजमेरा, पदम छाबड़ा मंडावरी, हनुमान जैन मेहंदवास, एडवोकेट राजेंद्र बज,रुपचंद सेठी नीमेडा, भागचंद लोग्यां नीमेडा,प्रेमचंद गोधा, राहुल जैन लदाना, धर्म संरक्षणी महासभा के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष रमेश जैन तिजारिया, तीर्थ जीर्णोधार कमेटी के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष धर्मचंद पहाड़िया, नवरत्न जैन चंण्डीगढ समाज अध्यक्ष,मुनि सेवा समिति राजस्थान के अध्यक्ष देव प्रकाश खण्डाका, निर्मल -पुष्पा बिन्दायका कोलकाता,छोटा गिरनार बापू गांव के संरक्षक अनिल कुमार बनेठा, अध्यक्ष प्रकाश बाकलीवाल दुर्गापुरा ,उतमकुमार पांड्या मालवीय नगर,डा.राजेन्द्र कुमार बापू नगर,केलास बेनाडा, प्रवेश जैन सांगानेर,अमर दीवान, निर्मल पांड्या खोरा बीसल, झोटवाड़ा मंदिर समिति के अध्यक्ष धीरज पाटनी,धर्म सरंक्षणी महासभा राजस्थान के अध्यक्ष कमल बाबू जैन, महामंत्री राजेंद्र बिलाला, सुधा सागर छात्रा वास कोटा की अध्यक्षा श्रीमती अर्चना (रानी दुगेरिया) जैन , तथा मधुवन जैन मंदिर जयपुर के अध्यक्ष अक्षय मोदी आदि ने आचार्य श्री के निधन को सम्पूर्ण विश्व के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि आचार्य श्री के समाधि मरण से जैन धर्म में सूना पन आगया, कार्यक्रम में राजाबाबू गोधा ने कहा कि आचार्य विरागजसागर जी महाराज का अचानक समाधि मरण होने का हमें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है ऐसा प्रतीत होता है कि वे अभी भी हमारे बीच विराजमान है ,आपका मुझ पर वात्सल्यपूर्ण भाव भरा आशीर्वाद रहा है, मेंने आपसे अनेक बार धर्म चर्चा कर धर्म लाभ प्राप्त किया है, और आप एक ही बात कहते कि धर्म की पताका लहराते रहो। में नमआंखों से विनियांजलि एवं श्रृदांजलि अर्पित करते हुए वीर प्रभु से कामना करता हूं कि आचार्य श्री मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करते हुए सिद्ध शिला में विराजमान हो।
राजाबाबू गोधा जैन महासभा मीडिया प्रवक्ता राजस्थान