गुरुवर आदित्य सागर जी नगर पधारे रे झूमे भक्ति में नाचे गाए रे ,,,,,,,,,2
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चंबल का किनारा है
गुरुवर का सहारा है
चातुर्मास हो महान
सबने यही विचारा है
गुरुवर के चरणों नमन हमारे रे
गुरुवर आदित्य सागर जी नगर पधारे रे
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कब से आस लगाए है
पलक पांवड़े बिछाए है
धर्म की गंगा बहा कर के
सद मार्ग दिखाए है
पार्श्वमणि संग झूमे नाचे गाए रे
गुरुवर आदित्य सागर जी कोटा पधारे रे
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प्रस्तुति
पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा