नववर्ष 2026 द्वितीय माह फरवरी में महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित श्री णमोकार तीर्थ एक ऐसे आध्यात्मिक आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है, जो न केवल जैन समाज के लिए, बल्कि समग्र वैश्विक मानवता के नैतिक और आत्मिक जीवन के लिए भी विशेष महत्व रखता है। यहाँ अंतरराष्ट्रीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव एवं भव्य महामस्तकाभिषेक महोत्सव का आयोजन प्रस्तावित है, जिसमें देश-विदेश से साधु-संत, श्रद्धालु और धर्मप्रेमी जन सहभागी होंगे।
यह आयोजन छह फरवरी से तेरह फरवरी 2026 तक पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के रूप में तथा तेरह फरवरी से पच्चीस फरवरी 2026 तक महामस्तकाभिषेक के रूप में सम्पन्न होगा। सम्पूर्ण महोत्सव पूज्य आचार्य श्री देवनंदी जी महाराज के नेतृत्व में ससंघ श्रमण, पूज्य आचार्यों और मुनिराजों के पावन सान्निध्य में जैन आगम एवं परंपरा की पूर्ण आगम शास्त्रोक्त अनुष्ठानों मर्यादा के साथ आयोजित किया जाएगा।
सिद्ध क्षेत्र गजपंथा और सिद्ध क्षेत्र मांगीतुंगी के मध्य स्थित श्री णमोकार तीर्थ अपने भौगोलिक सौंदर्य के साथ-साथ अपनी आध्यात्मिक गरिमा के लिए भी जाना जाता है। यह वह क्षेत्र है जहाँ तप, संयम और साधना की परंपरा प्रकृति के साथ एकाकार दिखाई देती है। मनमाड़, शिरडी और त्र्यंबकेश्वर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों के समीप स्थित यह तीर्थ आत्मशुद्धि और अंतर्मुखी साधना का एक प्रभावशाली केंद्र बन चुका है। आगामी आयोजन के अवसर पर अनेकांत मंदिरों से सुशोभित यह तीर्थ और अधिक व्यापक आध्यात्मिक दृष्टि का प्रतीक बनेगा।
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत तीर्थंकर भगवान के जन्म, दीक्षा,तप केवलज्ञान और निर्वाण जैसे जीवन-कल्याणकारी प्रसंग विधिपूर्वक सम्पन्न होंगे। इसके उपरांत पंच परमेष्ठियों की प्रतिमाओं का महामस्तकाभिषेक श्रद्धा, अनुशासन और सामूहिक सहभाग सहकार संस्कार के साथ आयोजित किया जाएगा। इस पूरे कालखंड में सैकड़ों श्रमण संघीय साधु-संतों का सान्निध्य समाज के लिए नैतिक प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
वर्तमान समय में, जब समाज उपभोग, प्रतिस्पर्धा और असंतुलन के दबाव से जूझ रहा है, ऐसे आध्यात्मिक आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं रह जाते, बल्कि वे आत्मसंयम, अहिंसा और सहअस्तित्व जैसे मूल्यों की पुनर्स्थापना का माध्यम बनते हैं। शास्त्रों में वर्णित दान, सेवा और सहभाग की भावना इन आयोजनों के माध्यम से जीवन में मूर्त रूप लेती है।
आध्यात्मिक ऊर्जा के ऊर्जावान क्षेत्र में जैन मंत्रोच्चारण से विश्व शांति की प्रार्थना
श्री णमोकार तीर्थ पर होने वाला यह महामहोत्सव इस अर्थ में भी महत्वपूर्ण है कि यह दर्शन तक सीमित न रहकर साधना और जीवन-परिवर्तन का संदेश देता है। यह समाज को यह स्मरण कराता है कि आध्यात्मिक चेतना किसी एक वर्ग की नहीं, बल्कि समूचे मानव जीवन की आवश्यकता है।
ऐसे में यह अपेक्षा की जा सकती है कि धर्मप्रेमी जन सपरिवार इस आयोजन से जुड़कर न केवल अपनी आस्था को सुदृढ़ करेंगे, बल्कि समाज में शांति, संयम और नैतिकता के मूल्यों को भी बल प्रदान करेंगे। श्री णमोकार तीर्थ पर होने वाला यह आयोजन आने वाले समय में आध्यात्मिक चेतना के ऐतिहासिक विश्व-कल्याण महायज्ञ महाप्रज्ञ श्रमणों के एक महत्वपूर्ण इतिहास अध्याय के रूप में स्मरण किया जाएगा।
योगेश जैन, संवाददाता टीकमगढ़
जय जिनेन्द्र












