जब कुछ नजर नही आता,तब भगवान नजर आते हैं

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झुमरीतिलैया- श्री दिगम्बर जैन मंदिर में श्री पार्श्वनाथ मंदिर परिसर में विराजमान परम पूज्य अपूर्व प्रज्ञा के धनी,गणाचार्य गुरुदेव 108 श्री विराग सागर जी महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य वाक केसरी आचार्य श्री108 विनिश्चय सागर जी मुनिराज ओर कोडरमा गौरव जैन मुनि श्री 108 प्रांजल सागर जी मुनिराज के सानिध्य में आज जैन धर्म के छठे तीर्थंकर देवाधिदेव 1008 पद्मप्रभु भगवान का अभिषेक , शांतिधारा का सौभाग्य बिनोद अजमेरा,शैलेश छाबड़ा ने प्राप्त कर समाज द्वारा मोक्ष कल्याणक के शुभ अवसर पर निर्वाण लड्डू प्रभु चरणों मे चढ़ाया गया इस अवसर पर आचार्य श्री ने बताया कि आज से हज़ारों वर्ष पहले सम्मेदशिखर जी के पर्वतराज के मोहन टोंक से मोक्ष को प्राप्त किये थे तब से पूरे विश्व मे भगवान का निर्वाण महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।इसके बाद संघ सहित कार्यक्रम स्थल पर गुरुसंघ पधारे जहाँ दीप प्रज्वलित ललित-नीलम जैन सेठी, समाज श्रेस्टि गण ने किया और सुबोध गंगवाल के द्वारा मंगलाचरण किया गया इसके पश्चात आचार्य श्री ने अपने प्रवचन में वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए गुरुदेव ने बताया
“जब तक की जिंदगी हैं फुरसत न होगी काम से,कुछ समय ऐसा निकालो प्रेम करो भगवान से ।
आज का व्यक्ति इतना व्यस्त रहता हैं हैं,धर्म करने का समय ही नही रहता हैं।और कदाचित भूले-भटके मंदिरपहुँच भी जाये तो भी भगवान को नहीं देख पाता,वहाँ भी उसे मकान,दुकान, बच्चे ही नजर भाते हैं।ऐसे लोगो का दर्शन करना भी व्यर्थ हो जाता हैं।जो सच्चा श्रद्धालु होता हैं वह अगर एक दिन भी भगवान के दर्शन न करे तो उसका मन खेद खिन्न हो जाता हैं,भोजन भी उसे अच्छा नही लगता हैं।ऐसे श्रद्धालु का दर्शन करना सार्थक कहलाता हैं।प्रायः देखा जाता हैं व्यक्ति के जीवन मे जब अशुभ कर्म का उदय आता हैं तब व्यक्ति अपनी आपत्ति-विपत्ति को दूर करने के लिए दर-दर की ठोकरे खाता हैं,किन्तु जब कही कोई उपाय नजर नही आता तब उसे भगवान,धर्म-गुरुओं की शरण मे ही आना पड़ता हैं।इसलिए कहते है भगवान का नाम निरन्तर सुख के दिनों में भी लेते रहने चहिये,ताकि हमे कभी दुखों का सामना ही न करना पड़े।* साथ ही गुरुवर ने आगे कहा कि सभी को सकारात्मक सोच रखे जिससे आप की जीवन मे धर्म बढ़ेगा और सुख शांति का अनुभव होगा।
संकलन कर्ता-राज कुमार जैन अजमेरा, नवीन जैन कोडरमा

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