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1 दिसंबर 1895 से प्रकाशित जैन समाज का सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला साप्ताहिक

Unit of Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Mahasabha

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अमृत वाणी

सुखी से जीवन जीना है तो अजनबी बनकर जीना शुरू कर दो – अन्तर्मना...

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सुखी से जीवन जीना है तो अजनबी बनकर जीना शुरू कर दो।अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर' जी औरंगाबाद संवाददाता नरेंद्र /पियुष जैन। परमपूज्य...

जैनधर्म के तेइसवें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान की जीवनगाथा

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जैन धर्म का प्रादुर्भाव श्रमण परम्परा से हुआ है तथा इसके प्रवर्तक २४ तीर्थंकर हैं । जैन धर्म में तीर्थंकर शब्द से तात्पर्य उन...

आत्मा की उन्नति का साधन धर्म – प्राचार्य डॉ.नरेन्द्र कुमार जैन   

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जीवन में विचारों या भावों में परिवर्तन के लिए धर्म की प्रमुख भूमिका है, इसलिए धर्म को आत्मोन्नति का साधन माना गया है। धर्म...

संसार में सबसे ज्यादा प्यार और आशीर्वाद बच्चों पर माँ का बरसता है

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नरेंद्र /पियूष  जैन (औरंगाबाद ) - परमपूज्य परम तपस्वी अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर' जी महामुनिराज सम्मेदशिखर जी के स्वर्णभद्र कूट में विराजमान...

दिगम्बरत्व प्रदर्शन का नहीं आत्मदर्शन का प्रतीक है- मुनि विनंद सागर जी

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वार्षिक कलशाभिषेक एवं विमानोत्सव के साथ क्षमावाणी महापर्व मनाया। पावागिरि जी में मुनि श्री 108 सरल सागर जी महाराज का 40वां दीक्षा दिवस...

समयसार – भगवान महावीर की वाणी

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दिगम्‍बर जैन संप्रदाय का महान ग्रंथ समयसार जैन परंपरा के दिग्‍गज आचार्य कुन्द कुन्द द्वारा रचित है। दो हजार वर्षों से आज तक दिगम्‍बर...

जिनवाणी को जनवाणी न बनाएं : आचार्य वर्द्धमान सागर

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महावीर जी में प्रभावना जनकल्याण परिषद (रजि.) के तत्वावधान में संगोष्ठी, अधिवेशन व पुरस्कार अलंकरण समारोह अभूतपूर्व सफलता के साथ संपन्न समाज में...

अच्छे लोगों का साथ, सहयोग और समर्थन कभी कभी लड़खड़ाती ज़िन्दगी को भी दौड़ना...

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औरंगाबाद (नरेंद्र / पियूष)-  जैसे जैसे - भौतिक सुख संसाधन बढ़ते जा रहे हैं, वैसे वैसे - ज़िन्दगी का सफर कठिन होते जा रहा...

हक़दार बदल दिये जाते हैं, किरदार बदल दिये जाते हैं.. ये संसार स्वार्थी है...

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औरंगाबाद (पीयूष कासलीवाल)-  नरेंद्र अजमेरा! ये जीवन परमात्मा का पुरस्कार है। कुदरत की सौगात है। प्रकृति का उपहार है। लेकिन मैं कहता हूं कि...

शब्द और जिव्हा हिलाकर माफ करने में वक्त नहीं लगता.. अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर

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आचार्य प्रसन्न सागर औरंगाबाद। नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल शब्द और जिव्हा हिलाकर माफ करने में वक्त नहीं लगता.. अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर लेकिन मन...

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