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1 दिसंबर 1895 से प्रकाशित जैन समाज का सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला साप्ताहिक

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अमृत वाणी

मुनिश्री विलोकसागर

संयम की साधना से आत्मबल की प्राप्ति होती है – मुनिश्री विलोकसागर

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आज मंत्रोचारण के साथ चातुर्मास का संकल्प लेंगे युगल मुनिराज मुरैना (मनोज जैन नायक) श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के छठवें दिन कर्म दहन विधान का...
आचार्य अतिवीर मुनिराज

परिणामों की विशुद्धि से ही मोक्ष मार्ग प्रशस्त होगा – आचार्य अतिवीर मुनिराज

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प्रशममूर्ति आचार्य श्री १०८ शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) परम्परा के प्रमुख संत परम पूज्य आचार्य श्री १०८ अतिवीर जी मुनिराज के पावन सान्निध्य में...
मुनिश्री विलोकसागर

मान कषाय प्राणी मात्र को विवेक शून्य कर देती है -मुनिश्री विलोकसागर विधान के...

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मान कषाय प्राणी मात्र को विवेक शून्य कर देती है -मुनिश्री विलोकसागर विधान के छठवें दिन 256 अर्घ समर्पित होगें मुरैना (मनोज जैन नायक) हम सभी...
मुनिश्री विलोकसागर

जिसके जीवन में गुरु नहीं, उसका जीवन शुरू नहीं -मुनिश्री विलोकसागर

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जिसके जीवन में गुरु नहीं, उसका जीवन शुरू नहीं -मुनिश्री विलोकसागर सिद्धचक्र विधान के पांचवे दिन 128 अर्घ होगें समर्पित मुरैना (मनोज जैन नायक) मनुष्य के...
अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज

कुछ पाने या जानने का मतलब है, निरन्तर अभ्यास ऐसे बनाये रखना.. जैसे नदी...

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औरगाबाद दिली नरेंद्र /पियूश जैन मनुष्य किस्मत की डायरी में क्या क्या लिखवाकर आया है, यह तो उसका कर्म और परमात्मा ही जान सकता...
आचार्य अतिवीर मुनिराज

चातुर्मास: तप, त्याग और धर्म का समर्पण पर्व – आचार्य अतिवीर मुनिराज

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भारत की आध्यात्मिक परंपराओं में जैन धर्म का स्थान विशिष्ट है। जैन साधु-संतों की तपस्या, अहिंसा, अपरिग्रह और आत्मानुशासन की मिसालें आज भी जीवन...
मंत्र महर्षि क्षुल्लक योगभूषण महाराज

चातुर्मास : प्रकृति और धर्म के अद्भुत मिलन का काल – मंत्र महर्षि क्षुल्लक...

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सृष्टि का चक्र अनवरत गतिशील है—गर्मी, वर्षा और शीत ऋतु इसका पर्याय हैं। इन्हीं ऋतुओं में से एक—वर्षा ऋतु—न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से, बल्कि...
पंचम काल में धर्म का ज्ञान सीखा जैन मुनियों से - गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी

पंचम काल में धर्म का ज्ञान सीखा जैन मुनियों से...

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पंचम काल में हम मोक्ष से और मोक्ष मार्ग से अंधे हैं। हमें नहीं पता तीर्थंकर कैसे करुणा करते हैं। हमें नहीं पता तीर्थंकरों...
"जियो और जीने दो: सह-अस्तित्व की संस्कृति की ओर एक कदम

“जियो और जीने दो: सह-अस्तित्व की संस्कृति की ओर एक कदम

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"जियो और जीने दो" एक छोटा-सा वाक्य है, परंतु इसमें छिपा हुआ संदेश अत्यंत गहरा और व्यापक है। यह सिद्धांत केवल सामाजिक जीवन की...
जिसके पास मन नहीं, उससे कुछ भी कहना नहीं -मुनिश्री विलोकसागर

जिसके पास मन नहीं, उससे कुछ भी कहना नहीं – मुनिश्री विलोकसागर

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शिक्षण शिविरों का आज होगा समापन समारोह मुरैना (मनोज जैन नायक) उपदेश उसे ही दिया जाना चाहिए जो समझने की क्षमता रखता है । जिसमें...

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