पिडावा सकल दिगंबर जैन समाज के तत्वाधान में गुरुवार को दोपहर 1 बजे भव्य चातुर्मास कलश की स्थापना अन्नपूर्णा पैलेस में संपन्न हुई। समाज प्रवक्ता मुकेश जैन चेलावत ने बताया की सकल दिगंबर जैन समाज के महान पुण्योदय से आचार्य 108 श्री विद्यासागर महाराज के शिष्य 108 श्री भूतबलि सागर महाराज, मुनि सागर महाराज, मोनसागर महाराज ,मुक्तिसागर महाराज ने 43 वां भव्य चतुर्मास मंगल कलश की स्थापना समारोह कार्यक्रम बाल ब्रह्मचारी मन्जुला दीदी के सानिध्य में अन्नपूर्णा पैलेस में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर सभी ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की गई। सभी श्रावक सफेद वस्त्र में व महिलाये केसरिया साड़ी में उपस्थित रहे। महाराज श्री सांवरिया पारसनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मन्दिर से देवास के दिव्य घोष के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। कार्यक्रम का शुभारंभ मंगला चरण के माध्यम से प्रारंभ किया। उसके बाद आचार्य श्री के चित्र का अनावरण विकास जैन मुम्बई परिवार के द्वारा किया गया व मुनि श्री भूत बली सागर महाराज की पाद प्रक्षालन कर सभी मुनिराजो को शास्त्र भेंटकर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।
अष्ट द्रव्य सें मुनिराजो की संगीतमय पूजन की गई। जिसमें पूजन के द्रव्य जल, चन्दन, अक्षत, पुष्प, नेवेध, दीप, धूप, मौक्ष फल अनर्ध अष्ट द्रव्य सभी पिड़ावा व बहार के श्रावक, श्राविकाओ से चढ़वाये गये । जिनवाणी ग्रुप की महिलाओं ने भक्ति नृत्य करते हुवे जयमाला का महाअरघ चढ़ाया। इसके बाद पांचों मंगल कलश में मुख्य कलश का सोभाग्य त्रिलोक सेठ, दिनेश जैन, पारस जैन, जीवन जैन परिवार ने प्राप्त कर पूण्य लाभ अर्जित किया। इस अवसर पर बाहर शहरों से पधारे मुंबई, दिल्ली, बहरोड, आष्टा, देवास, सुसनेर, मोड़ी, इंदौर, झालावाड़, पाटन, कड़ोदिया,रटलाई, भवानी मंडी, सुनेल, ड़ोला, कोटा आदि स्थानों से श्रावक, श्राविकाओ ने महाराज श्री के चरणों में श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
महाराज श्री ने मंत्रोच्चार द्वारा विधि विधान से कलशों की स्थापना कर चातुर्मास की घोषणा कर सभी श्रावक, श्राविकाओ को मंगलमय आशीर्वाद दिया और कहा कि आप इन चार माह में देव, शास्त्र, गुरु की पूजन, प्रवचन, स्वाध्याय, तप, संयम के माध्यम से अपने जीवन को सफल बनाएं अंत में सभी समाज जन और बहार से पधारे अतिथियों का वात्सल्य भोजन का आयोजन किया गया और अंत में चतुर्मास समिति के अध्यक्ष सुरेश जैन गुरु ने सभी का आभार व्यक्त किया। इसमें सभी जैन समाज, युवाओं और गणमान्य नागरिकों का सहयोग रहा।