निस्वार्थ भाव से की गई मानव सेवा ही है सबसे उच्च सेवा- राकेश जैन

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यमुनानगर – मॉडल टाऊन शास्त्री पार्क के पास अक्षय तृतीय के शुभ अवसर पर एस. एस. जैन सभा जैन स्थानक मॉडल टाऊन के तत्वधान में कार्यकारणी सदस्यों के द्वारा डा. सुव्रतमुनि जी महाराज, सेवाभावी श्री मुदित मुनि जी महाराज तथा विदूशी साध्वी श्री समता जी महाराज व मधुर गायकी साध्वी श्री भविका जी महाराज के पावन सानिध्य गन्ने के रस की क्षबील वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान राकेश जैन व आनंद जैन ने की तथा संचालन पूर्वमंत्री सतीश जैन व मंत्री संदीप जैन ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ णमोकार महामंत्र का उच्चारण कर किया गया और अक्षय तृतीय के पर सभी के लिये सुख, शांति, समृद्धि, साधना, संस्कार आदि के लिये प्रभु से कामना की गई। राकेश जैन ने कहा कि इस प्रकार के समाज सेवा कार्य किया जाना हर प्रकार से शुभ सिद्ध होता है, क्योंकि इस प्रकार से जरुरतमंद व्यक्तियों की सेवा का अवसर मिलता है।

उन्होंने कहा कि हर धर्म में निस्वार्थ भाव से मानव सेवा को ही सबसे उच्च सेवा कहा गया है और समाज में बहुत से ऐसे लोग है जिन्हें दो वक्त रोटी भी नसीब नहीं हो पाती है, ऐसे में क्षबील, लंगर-भण्डारों का महत्व और भी बढ़ जाता है। संदीप जैन ने जानकारी देते हुये कहा कि भारतीय संस्कृति में बैसाख शुक्ल तृतीया का बहुत बड़ा महत्व है, इसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है। जैन दर्शन में इसे श्रमण संस्कृति के साथ युग का प्रारम्भ माना जाता है। भगवान आदिनाथ इस युग के प्रारंभ में प्रथम जैन तीर्थंकर हुए। राजा आदिनाथ को राज्य भोगते हुए जब जीवन से वैराग्य हो गया तो उन्होंने जैन धर्म की दीक्षा ली तथा 6 महीने का उपवास लेकर तपस्या की। 6 माह बाद जब उनकी तपस्या पूरी हुई तो वे आहार के लिए निकले। जैन दर्शन में श्रावकों द्वारा मुनियों को आहार का दान किया जाता है।

लेकिन उस समय किसी को भी आहार की चर्या का ज्ञान नहीं था। जिसके कारण उन्हें और 6 महीने तक निराहार रहना पड़ा। बैसाख शुल्क तीज अक्षय तृतीया के दिन मुनि आदिनाथ जब विहार करते हुए हस्तिनापुर पहुंचे। वहां के राजा श्रेयांस व राजा सोम को रात्रि को एक स्वप्न दिखाए जिसमें उन्हें अपने पिछले भव के मुनि को आहार देने की चर्या का स्मरण हो गया। तत्पश्चात हस्तिनापुर पहुंचे मुनि आदिनाथ को उन्होंने प्रथम आहार गन्ने का रस का दिया। जैन दर्शन में अक्षय तृतीया का बहुत बड़ा महत्व है और जैन श्रावक इस दिन गन्ने का रस दान करते हैं। सतीश जैन ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान सभी के लिये मंदिर समिति के द्वारा मॉडल टॉऊन शास्त्री पार्क के पास गन्ने का रस निकालने वाली मशीन लगा कर छबील का वितरण किया गया। जिसकों लगभग 500 लोगों ने ग्रहण किया। उन्होंने आगे बताया कि कार्यकारीणी द्वारा इस प्रकार के सेवा कार्य नियमित रूप से अयोजित किये जा रहे है, जिससे कि अधिक से अधिक लोगों की सेवा हो सके।

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