जीवन में विध्न क्यों आते हैं :आचार्य श्री प्रमुख सागर

0
71

“ध्यान गुरु श्री संगीत बिंदु आचार्य श्री के दर्शनाथ पहुंचे”

गुवाहाटी :- दान, लाभ, भोग, उपयोग, वीर्य इन पांचो में विध्न डालने से अनंतमय कर्म का आश्रव होता है। दान: अर्थात कोई किसी को दान दे रहा है, आपने उसे रोक दिया तो आप कभी दान करने की इच्छा रखोगे तो कर नहीं पाओगे। लाभ: किसी को कोई कार्य से लाभ हो रहा है हमने उसे रोक दिया तो हमें उससे कोई लाभ नहीं होगा। भोग: जो वस्तु एक बार भोगने में आ जाए जैसे भोजन-पानी आदि आपने किसी को खाने-पीने को नहीं दिया तो आपको भी इस कार्य में उपभोग विध्न आएगा।उपयोग: यदि किसी को वस्त्र – गाड़ी- मकान आदि का उपयोग हो रहा है आपने उसे रोक दिया तो आपको भी इस कार्य में विध्न आएगा। वीर्य: यदि आपने किसी को अपनी शक्ति के बल पर दबा दिया तो आपको भी कर्मों का आश्रव होगा। यह उक्त बातें भगवान महावीर धर्म में विराजित असम के राज्यकिय अतिथि आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज ने रविवार को एक धर्मसभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि अगर कोई दान करना चाहता है आपने कह दिया यह सब फालतू है, दान नहीं करना है। ऐसे हम दूसरों के काम में टांग अडा़ते हैं तो हमारे भी अनंतमय कर्म बधते हैं। इससे पूर्व आज प्रातः लुधियाना के ओहो से पधारे ध्यान गुरु स्वामी संगीत बिंदु जी आचार्य श्री से भेंट करने पहुंचे। आचार्य श्री ने श्री बिंदु को धार्मिक पुस्तक प्रदान कर आशीर्वाद प्रदान किया। मालूम हो की ज्ञान गुरु तेरापंथ धर्मस्थल मैं ध्यान अभ्यास के लिए पधारे थे। यह जानकारी समाज के प्रचार प्रसार विभाग के मुख्य संयोजक ओम प्रकाश सेठी एवं सहसंयोजक सुनील कुमार सेठी द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है।।

सुनील कुमार सेठी
प्रचार प्रसार विभाग
श्री दिगंबर जैन पंचायत

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here