आलस्य यानि साँप को दूध पिलाना और उत्साह यानि गाय को घास खिलाना।
साँप दूध पीकर जहर उगलता है और गाय घास खाकर पंचामृत देती है..!आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज
औरंगाबाद उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा चल रहा है इस दौरान भक्त को प्रवचन कहाँ की
आलस्य और उत्साह में इतना ही अन्तर है..
आलस्य यानि साँप को दूध पिलाना और उत्साह यानि गाय को घास खिलाना।
साँप दूध पीकर जहर उगलता है और गाय घास खाकर पंचामृत देती है..!
मन के थक जाने, शरीर को लाचार करने और कुछ भी करने के लिये – बाद के टालते रहने की प्रवृति को आलस्य कहते हैं। ध्यान रखना आलस्य एक समय तक तो अच्छा लगता है, लेकिन बाद में जब समय का मूल्य समझ में आता है तो अफसोस, पछतावा के अलावा कुछ नहीं बचता। अब कहो – अब पछताये होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत
इसलिए अपने कोई भी कार्य को छोटा-बड़ा मत समझो, सिर्फ जुनून और जोश से करते रहो। सफलता और असफ़लता के बाबत नहीं बल्कि जोश और जुनून को नहीं मरने दो। अनावश्यक नकारात्मक सोच और विचारों को कचरे बाक्स में डालकर कार्य में संलग्न हो जाओ।
जुनून और जोश को बरकरार रखने के लिये रोज 30 मिनट योगाभ्यास, ध्यान, व्यायाम और 15 मिनट ताजी धूप में शरीर को सेकें। फिर देखो – सफलता कैसे नहीं मिलती और आलस्य कैसे नहीं भागता…!!! नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद